पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में आईजी निबंधन ने विवाह पंजीकरण को लेकर नए अंतरिम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। U.P. में अब परिवार की सहमति के बिना विवाह करना आसान नहीं रहेगा।
प्रदेश में अब विवाह के रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया गया है। उत्तर प्रदेश में अब परिवार की सहमति के बिना विवाह कर उसका पंजीकरण कराना आसान नहीं होगा। पंजीकरण के लिए विवाह संस्कार संबंधी आधे-अधूरे साक्ष्य नहीं चल पाएंगे। पक्के साक्ष्य के साथ विवाह कराने वाले पंडित-पुरोहित आदि की भी गवाही अनिवार्य होगी।
न्यायालय द्वारा निर्गत अंतरिम निर्देश विशेषकर विवाह पंजीकरण के संबंध में जारी किये गए हैं, अब विवाह पंजीकरण केवल उसी जिले में किया जाएगा जहां वर-वधु या उनके माता-पिता निवास करते हों। इसके साथ ही विवाह के साक्ष्य के रूप में सिर्फ फोटो या कार्ड काफी नहीं होगा, विवाह कराने वाले पंडित या पुरोहित की गवाही और शपथ पत्र अनिवार्य होगी। यदि विवाह परिवार की सहमति के बिना हुआ है, तो विवाह संस्कार की वीडियो रिकॉर्डिंग पेन ड्राइव में लेकर पंजीकरण अधिकारी को देनी होगी, जिसे कार्यालय में संरक्षित रखा जाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में आईजी निबंधन ने विवाह पंजीकरण को लेकर नए अंतरिम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य विवाह पंजीकरण प्रणाली को अधिक पारदर्शी और प्रमाणिक बनाना है। हर विवाह पंजीकरण कार्यालय में एक पंजिका रखी जाएगी जिसमें दर्ज विवाहों का मासिक रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा । इस रिकॉर्ड को सहायक महानिरीक्षक द्वारा प्रमाणित किया जाना आवश्यक होगा, जिससे निगरानी और पारदर्शिता बनी रहे।
नए नियमों के मुताबिक विवाह कराने वाले पंडित या पुरोहित को पंजीकरण के समय शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा और शपथ पत्र देना होगा जिसमें उसका नाम, पता, आधार कार्ड की प्रति, वैध पहचान पत्र, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटो देने होंगे। इसके साथ ही यह भी घोषित करना होगा कि विवाह उसी ने संपन्न कराया है।
पूर्व में विवाह स्थल के आधार पर पंजीकरण की अनुमति दी गई थी, जिससे कई बार नकली या जबरन विवाहों की शिकायतें सामने आती थीं। सरकार के अनुसार, यह संशोधन उन फर्जीवाड़ों को रोकने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। अब बिना प्रमाण और गवाही के विवाह का कानूनी दर्जा नहीं मिल सकेगा। नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य विवाह पंजीकरण प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना, परिवार की सहमति सुनिश्चित करना और फर्जीवाड़े की संभावना को समाप्त करना है. इससे बाल विवाह, जबरन विवाह और अन्य सामाजिक समस्याओं पर भी रोक लगने की संभावना है।
