पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक
लखनऊ एडीजे कोर्ट ने सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उसके साले वक्षराज को शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोनों पर ढाई-ढाई लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। साल 2000 यानी 25 साल पहले हुए डबल मर्डर में जज रोहित सिंह ने यह फैसला सुनाया है।
इलाहाबाद कोर्ट ने 1 दिसंबर 2012 को रामनिरंजन उर्फ राजा कोलंदर को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने उसे पत्रकार धीरेंद्र सिंह समेत कई लोगों की हत्या का दोषी करार देते हुए इसे रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर केस माना था। उसके खिलाफ यह केस करीब 12 साल तक चला। तब से कोलंदर उन्नाव जेल में बंद है।
राजा कोलंदर प्रयागराज नैनी के शंकरगढ़ स्थित हिनौता गांव का रहने वाला है। साल 2000 में पहली बार प्रयागराज में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था। रायबरेली के रहने वाले मनोज सिंह (22) और उनके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव की साल 2000 में अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में कोलंदर और वक्षराज को 4 दिन पहले 19 मई को कोर्ट ने दोषी करार दिया था।
राजा कोलंदर और वक्षराज को इससे पहले प्रयागराज में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में 2012 में इलाहाबाद कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यानी, कोलंदर और वक्षराज को दूसरी बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
सजा सुनाए जाने से कुछ घंटे पहले भी खुद को बेगुनाह बताता रहा। उसका कहना था कि उसे सियासी रंजिश की वजह से फंसाया गया। हालांकि,छापेमारी में फार्म हाउस से 14 नरमुंड बरामद होने की बात पर वह कोई जवाब नहीं दे सका।
नरभक्षी की हैवानियत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उसने आर्डिनेंस फैक्ट्री के साथी कर्मचारी काली प्रसाद श्रीवास्तव को इसलिए मौत के घाट उतारा था, क्योंकि वह कायस्थ बिरादरी का था। उसका मानना था कि कायस्थ लोगों का दिमाग काफी तेजी से काम करता है। वह कई दिनों तक उसकी खोपड़ी के हिस्से को भूनकर खाता रहा। उसके दिमाग को उबालकर सूप बनाकर पीता था। फिलहाल उसने 14 से ज्यादा हत्या की बात कबूली है। वह हत्या के बाद शव के टुकड़े-टुकड़े कर देता था,मांस खा जाता था, जबकि खोपड़ी से भेजा निकाल कर उसे उबालकर सूप बनाकर पीता था।
पुलिस के मुताबिक, मनोज सिंह की हत्या में राजा कोलंदर का नाम तब खुला जब राजा कोलंदर ने प्रयागराज में एक पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या कर दी थी। जब पुलिस ने पत्रकार की हत्या के मामले की जांच शुरू की तो राजा कोलंदर के फॉर्म हाउस में कई लोगों के कटे हुए सिर मिले। प्रयागराज पुलिस ने जब फॉर्म हाउस में छापा मारा तो वहां काली प्रसाद श्रीवास्तव का नरमुंड भी बरामद होने की बात सामने आई थी।
राजा कोलंदर का असली नाम राम निरंजन कोल है। वह प्रयागराज के शंकरगढ़ का मूल निवासी है। नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार छिवकी में कर्मी था। कर्मचारी होने के बावजूद वह खुद को राजा ही समझता था। उसका कहना था कि जो आदमी उसे पसंद नहीं उसे वह अपनी अदालत में सजा जरूर देता है। अजीब सोच के कारण कोलंदर ने अपनी पत्नी का नाम फूलन देवी और दोनों बेटों के नाम अदालत और जमानत रखे थे। वहीं, बेटी का नाम आंदोलन रखा था। उसकी पत्नी फूलन देवी जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी।आजीवन कारावास सुनाए जाने के बाद राजा कोलंदर के घर के बाहर सन्नाटे था।