पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक
पेरिमेनोपॉज़ दुनियाभर में करोड़ों महिलाओं को प्रभावित करती है लेकिन फिर भी इसको लेकर बहुत कम चर्चा होती है। कई देशों और समुदायों में आज भी इसे ‘टैबू’ माना जाता है।
पेरिमेनोपॉज़ दरअसल धीरे-धीरे मेनोपॉज की तरफ बढ़ने वाली अवधि है। इस दौरान महिलाओं में हार्मोन का स्तर बदलने लगता है और प्रजनन क्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। पेरिमेनोपॉज़ रजोनिवृत्ति से पहले का समय है, जब मासिक धर्म चक्र अनियमित होने लगते हैं और रजोनिवृत्ति के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
पेरिमेनोपॉज़ के लक्षण कुछ इस तरह से हो सकते हैं-
- अनियमित पीरियड्स
- चिंता या घबराहट
- नींद ना आना
- अचानक बेहद गर्मी का एहसास होना और रात में पसीना आना
- यौन इच्छा की कमी
- वेजाइनल ड्राइनेस
- किसी भी काम में ध्यान न लगना
- थकान
इन कारणों से महिलाओं में शारीरिक और भावनात्मक रूप से काफ़ी बदलाव आते हैं और रोजमर्रा का उनका जीवन प्रभावित होता है। इस परिवर्तन के दौरान हार्मोन स्तर में उतार-चढ़ाव होते हैं। इनमें प्रमुख रूप से एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (एफ़एसएच), ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (एलएच) और टेस्टोस्टेरोन शामिल हैं।
इससे बचाव के लिए नियमित व्यायाम करना जरूरी है,नियमित व्यायाम से डोपामाइन का स्तर शरीर में बढ़ता है। यह न्यूरोकेमिकल दिल और दिमाग़ दोनों को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
पेरिमेनोपॉज़ के लक्षणों को कम करने के लिए कई उपचार विकल्प उपलब्ध हैं, जिनमें हार्मोन थेरेपी, जीवनशैली में बदलाव और दवाएं शामिल हैं। शारीरिक व्यायाम से कूल्हे की कार्यक्षमता, लचीलापन और संतुलन में वृद्धि होती है। आपको ये जरूर करना चाहिए।
- स्ट्रेंथ ट्रेनिंग
- योग और स्ट्रेचिंग
- एरोबिक व्यायाम
साथ ही आपको पेरिमेनोपॉज़ के दौरान संतुलित आहार से पोषक तत्व तो मिलते हैं, हार्मोन को संतुलित रखने में भी मदद मिलती है।
- साबुत अनाज
- लीन प्रोटीन
- हेल्दी फैट
- फाइटोएस्ट्रोजन युक्त खाद्य पदार्थ
- फल और सब्जियाँ
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, पेरिमेनोपॉज़ के लक्षण महिलाओं में धीरे-धीरे 37-40 साल के बीच शुरू हो सकते हैं। वहीं अधिकतर महिलाएं 45 साल की उम्र आते-आते इस फ़ेज़ में पहुंच जाती हैं।