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ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा

पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक

ओडिशा के पुरी में  आज से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। यह भव्य यात्रा पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर गुंडिचा मंदिर तक जाती है। जगन्नाथ मंदिर में हर साल रथ यात्रा का त्यौहार मनाया जाता है, जिसमें जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र की मूर्तियों को रथों में निकालकर शहर में घुमाया जाता है।


जगन्नाथ का अर्थ है “जग के नाथ” या “संसार के स्वामी”। जगन्नाथ मंदिर, जिसे धरती का वैकुंठ भी कहा जाता है, भगवान विष्णु को समर्पित है, और यह भारत के चार धामों में से एक है। पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो गई है। सबसे पहले भगवान बलभद्र का रथ भक्तों ने खींचा। कुछ दूर खींचने के बाद अभी रथ रुक गया है। बलभद्र के बाद देवी सुभद्रा और फिर भगवान जगन्नाथ का रथ खींचा जाएगा।


पुरी के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर में हर साल आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ होता है, जो एक भव्य और ऐतिहासिक उत्सव माना जाता है। इस साल 2025 में ये यात्रा आज ही के दिन यानी 27 जून से शुरू हो रही है और 5 जुलाई तक चलेगी। भगवान जगन्नाथ के भक्त इस दिन रथ यात्रा को निकालते हैं। जिसमे जगन्नाथ भगवान के साथ भाई बलराम और बहन सुभद्रा गर्भगृह से निकलकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं।

ओडिशा के शहर पुरी में हर साल की तरह परंपरा के मुताबिक भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली। दोपहर 3 बजे पुरी राजपरिवार के गजपति दिव्य सिंह देव रथ के आगे सोने के झाडू से बुहारा लगाकर रथ यात्रा की शुरुआत की। भगवान जगन्नाथ नंदीघोष रथ पर, बलभद्र तालध्वज पर, और सुभद्रा दर्पदलन रथ पर विराजमान होंगी। रथ से भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ करीब 3 किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर जाएंगे। ये उनकी मौसी का घर माना जाता है। रथ पर भगवान की विधिवत पूजा और भोग हुआ।

यह रथ यात्रा कुल 12 दिनों तक चलेगी और इसका समापन 8 जुलाई 2025 को नीलाद्रि विजय के साथ होगा, जब भगवान पुनः अपने मूल मंदिर में लौटेंगे। भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए पुरी में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस, एनडीआरएफ के साथ दूसरी सुरक्षा एजेंसियां मिलकर रथयात्रा की तैयारियों में जुटे हैं। पुरी के डीएम खुद भी रथयात्रा की तैयारियों पर नजर बनाए हुए हैं।

जगन्नाथ, हिन्दू भगवान विष्णु का एक रूप हैं, जिन्हें कृष्ण के रूप में भी जाना जाता है। जगन्नाथ, सुभद्रा, बलभद्र और सुदर्शन चक्र के साथ पुरी, ओडिशा में स्थित जगन्नाथ मंदिर में पूजे जाते हैं। जगन्नाथ को विष्णु के दशावतारों में से एक माना जाता है, और उन्हें अक्सर कृष्ण या बुद्ध के अवतार के रूप में भी देखा जाता है।

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