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पेड़ों की अवैध कटाई-अधिकारियों पर 25,000 रुपये का जुर्माना

पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई के मामले में डीडीए के अधिकारियों को अवमानना का दोषी ठहराया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के रिज क्षेत्र में बिना अनुमति पेड़ काटने के मामले में दिल्ली विकास प्राधिकरण यानी कि DDA के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। यह पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला गंभीर मामला है। कोर्ट ने 3 अधिकारियों पर जुर्माना लगाया है और पुनर्वनीकरण के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने डीडीए को आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराते हुए 3 अधिकारियों पर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए और दिल्ली सरकार के अधिकारियों के लिए कुछ विस्तृत दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि डीडीए के अधिकारियों ने दिल्ली के दक्षिणी रिज में सड़कों को चौड़ा करने के लिए अवैध तरीके से पेड़ों की कटाई की। बता दें कि यह मामला दिल्ली के रिज क्षेत्र में 1,100 से ज्यादा पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित है, जो सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (CAPFIMS) अस्पताल तक पहुंचने वाली सड़क को चौड़ा करने के लिए की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 1996 के अपने आदेश में स्पष्ट किया था कि रिज क्षेत्र में पेड़ काटने के लिए कोर्ट की पूर्व अनुमति जरूरी है। इसके बावजूद, DDA ने फरवरी 2024 में पेड़ काटे और इस तथ्य को छिपाया कि उसने 4 मार्च, 2024 को कोर्ट में अनुमति के लिए आवेदन करने से पहले ही पेड़ काट दिए थे।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि DDA का यह कृत्य न केवल 1996 के आदेश का उल्लंघन है, बल्कि तथ्यों को छिपाना और कोर्ट को गुमराह करना आपराधिक अवमानना के दायरे में आता है।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने निर्देश दिया कि अब से वनरोपण, सड़क निर्माण, पेड़ों की कटाई या संभावित पारिस्थितिक प्रभाव वाली किसी भी गतिविधि से संबंधित प्रत्येक अधिसूचना या आदेश में इस न्यायालय के समक्ष संबंधित कार्यवाही के लंबित होने का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए ।

सुप्रीम कोर्ट ने एक तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है, जो वृक्षारोपण को बढ़ावा देने और दिल्ली में हरित कवर को बढ़ाने के लिए डीडीए और दिल्ली सरकार को सुझाव देगी।

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