पूनम शुक्ला : मुख्या प्रबंध संपादक
एक सास ने अपनी बहु के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत की है। इस मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान यह भी सवाल उठा कि क्या सास अपनी बहु के खिलाफ इस तरह का मामला दर्जा करा सकती है? इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने इसकी इजाजत दी।
आपको बता दें कि यह मामला ‘स्मृति गरिमा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य’ के नाम दाखिल हुआ था | जिसमें बहू और उसके परिवार ने निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती दी थी।आपने अक्सर साल मे इस तरह की प्रताड़ना की बात सुनी और देखी होगी।
शिकायत में सास ने आरोप लगाया था कि बहू अपने पति (शिकायतकर्ता का बेटा) पर उसके मायके में जाकर रहने का दबाव बना रही है। इसके अलावा, बहू द्वारा ससुरालवालों के साथ दुर्व्यवहार और झूठे केस में फंसाने की धमकी देने का आरोप भी लगाया गया था। वहीं, बहू के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि यह शिकायत बहू द्वारा दर्ज कराए गए दहेज उत्पीड़न और घरेलू हिंसा के मामले के जवाब में बदले की भावना से की गई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में हाल ही में एक ऐसा मामला दर्ज हुआ जिसमें न्यायालय ने फैसला सुनाया कि यदि सास को बहू या परिवार के किसी अन्य सदस्य द्वारा परेशान किया जाता है या शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, तो निश्चित रूप से उसे पीड़ित व्यक्ति के दायरे में लाया जा सकता है।
हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सास भी अपनी बहू के खिलाफ घरेलू हिंसा अधिनियम, 2005 के तहत शिकायत दर्ज करा सकती है। यह फैसला न्यायमूर्ति आलोक माथुर ने दिया, जिन्होंने लखनऊ की एक निचली अदालत द्वारा बहू और उसके परिवार के खिलाफ जारी समन को सही ठहराया।