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कोर्ट ने किया नीट की काउंसलिंग टालने से इनकार

पूनम शुक्ला :मुख्य प्रबन्ध संपादक:

राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षाओं को हर छात्र के लिए समान बनाने:,स्वच्छ रखने और गड़बड़ियों को रोकने के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) का गठन किया गया था। आज वही गड़बड़ियों का गढ़ बन गई है। हाल ही में एक के बाद एक लगातार तीन परीक्षाएं यानी नीट यूजी,यूजीसी नेट और बीएड प्रवेश परीक्षा में सामने आए गड़बड़ियां इसके उदाहरण है।

जिसमें न सिर्फ लाखों छात्रों का भविष्य दांव पर है, बल्कि एनटीए की विशेषता एवं क्षमता भी सवालों के घेरे में हैं। सूत्रों के अनुसार एनटीए हर वर्ष 2 करोड़ छात्रों की परीक्षा कराती है। लेकिन सारा काम ठेके पर दे रखा है। शीर्ष 15 अफसरों को छोड़ दें तो अन्य नियुक्ति का जिम्मा निजी एजंसियों के पास रहता है।
जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन पीठ ने काउंसलिंग 6 जुलाई से आगे बढ़ाने की मांग ठुकराते हुए मौखिक टिप्पणी में कहा कि काउंसलिंग कोई ऐसी चीज नहीं है, जो शुरू हुई और बंद हो गई | यह एक प्रक्रिया है। काउंसलिंग प्रक्रिया 6 जुलाई को शुरू होगी और उसके बाद एक हफ्ते तक चल सकती है। जिसमें विद्यार्थियों के पास संशोधन आदि के कई विकल्प होंगे, और उसके बाद वह संयोजक के पास जाएगा।

पीठ ने यह बात तब कहीं जब याची छात्रों के वकील ने कहा कि वह काउंसलिंग पर रोक की मांग नहीं कर रहे । वह सिर्फ इतना कह रहे हैं कि कोर्ट 2 दिन के लिए काउंसलिंग आगे बढ़ा दे, क्योंकि काउंसलिंग 6 जुलाई से शुरू होनी है, और कोर्ट में नीट के परिणाम को लेकर 8 जुलाई को सुनवाई होनी है । लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मांग नहीं मानी और एनटीए, केंद्र व अन्य को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है।

वही एक तरफ एक अन्य याची अभ्यर्थी के वकील ने कहा कि वह 23 जून को दोबारा होने वाली परीक्षा में शामिल होना चाहता है। लेकिन उसकी मेडिकल स्थिति ठीक नहीं है उसने इस बारे में एनटीए को ज्ञापन भेजा है। लेकिन एनटीए ने कोई जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने अर्जी पर एनटीए को नोटिस जारी किया।

फिलहाल एनटीए उन 1563 छात्रों के लिए रविवार को नीट का फिर से आयोजन करने जा रही है, जिन्हें 6 केदो पर समय की बर्बादी से ग्रेस मार्क्स दिए गए थे। अभी भी मेडिकल के स्नातक पाठ्यक्रम में प्रवेश की राष्ट्रीय पात्रता से प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ियों के आरोप लगाते सुप्रीम कोर्ट में नई याचिकाएं दाखिल हो रही हैं।

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