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पानी की किल्लत से भारत की साख पर असर

पूनम शुक्ला:मुख्य प्रबन्ध संपादक:

आर्थिक रूप से दुनिया में सबसे तेज गति से विकास कर रहे भारत में पानी की किल्लत बड़े संकट की ओर इशारा कर रही है। जैसा कि आप सभी यह जानते हैं कि जल या पानी एक आम रासायनिक पदार्थ है। जिसका अणु दो हाइड्रोजन परमाणु और एक ऑक्सीजन परमाणु से बना है – H2O। यह सारे प्राणियों के जीवन का आधार है।

आमतौर पर जल शब्द का प्रयोग द्रव अवस्था के लिए उपयोग में लाया जाता है। पर यह ठोस अवस्था (बर्फ) और गैसीय अवस्था (भाप या जल वाष्प) में भी पाया जाता है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने कहा कि पानी की किल्लत भारत की साख को संकट में डाल सकती है ।
इतना ही नहीं पानी की खबर से जुड़े थर्मल पावर प्लांट और स्टील जैसे औद्योगिक सेक्टर पर भी दबाव बढ़ेगा। मूडीज के मुताबिक भारत में तेजी से हो रहे आर्थिक विकास औद्योगिकरण और शहरीकरण से जल स्तर तेजी से नीचे आ रहा है। आबादी में लगातार हो रही बढ़ोतरी से भारत में पानी की खपत बहुत ज्यादा बढ़ गई है।

जिससे प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता कम हो सकती है। वर्ष 2030 तक पानी की सालाना औसत प्रति व्यक्ति उपलब्धता 1367 किलोमीटर क्यूबिक मीटर हो जाएगी। जो फिलहाल 1486 क्यूबिक मीटर है। इसके मुताबिक जल वायु परिवर्तन की वजह से सुखा, लू और बाढ़ पहले की तुलना में अधिक होंगे। जिससे स्थिति और खराब होगी क्योंकि पानी की आपूर्ति के लिए भारत मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर करता है।

मानसून की बारिश में भी कमी आ रही है। बेंगलुरु और दिल्ली जैसे बड़े शहर इन दिनों पानी की भारी किल्लत से जूझ रहे है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पानी की आपूर्ति में कमी से कृषि उत्पादन के साथ औद्योगिक संचालन प्रभावित होगा। जिससे महंगाई में बढ़ोतरी होगी और पानी में प्रवाहित होने वाले औद्योगिक कारोबार और उनसे जुड़े लोगों की आय में कमी आएगी। इससे सामाजिक उत्तर-पुथल हो सकती है।

वह कुल मिलाकर पानी की किल्लत से भारत का आर्थिक विकास प्रभावित हो जाएगा। मूडीज का कहना है कि थर्मल पावर और स्टील प्लांट से उत्पादन में पानी का कि भारी मात्रा में इस्तेमाल होता है पानी की कमी से इन प्लांट का संचालन प्रभावित होने से उनके राजस्व मे कमी आएगी।

जैविक दृष्टिकोण से, पानी में कई विशिष्ट गुण हैं जो जीवन के प्रसार के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह कार्बनिक यौगिकों को उन तरीकों पर प्रतिक्रिया देने की अनुमति देता है। जो अंततः प्रतिकृति की अनुमति देती है। जीवन के सभी ज्ञात रूप पानी पर निर्भर करते हैं। जल एक विलायक के रूप में दोनों महत्वपूर्ण है जिसमें शरीर के कई विलायकों को भंग किया जाता है और शरीर के भीतर कई चयापचय प्रक्रियाओं का एक अनिवार्य हिस्सा होता है। ऐसा माना जा रहा है कि वर्ष 2030 तक भारत की आबादी वर्तमान के 1.43 अब से बढ़कर 1.51 अब हो जाएगी।

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