अमान्य शादी से पैदा हुये बच्चे का पैतृक संपत्ति मे अधिकार होगा-सुप्रीम कोर्ट

पूनम शुक्ला-मुख्य प्रबन्ध संपादक

सुप्रीमकोर्ट के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़,जे बी पार्डीवाला व मनोज मिश्रा की पीठ ने शून्य या अमान्य घोषित शादी से पैदा हुये बच्चे का पैतृक संपति पर हक के बारे मेँ दो जजों की पीठ द्वारा तीन न्यायाधीशों की पीठ को भेजे रिफरेंस मेँ कानूनी स्थिति को स्पष्ट करते हुये अपने एक महत्वपूर्ण फैसले मे कहा है कि हिन्दू उत्तराधिकार कानून और हिन्दू विवाह अधिनियम के प्रविधानों के अंतर्गत शून्य या अमान्य ठहराई गयी शादी से पैदा बच्चे का हिन्दू संयुक्त परिवार की पैतृक संपत्ति मेँ सिर्फ अपने पिता के हिस्से की संपत्ति पर अधिकार होगा |

यानि अमान्य शादी से पैदा हुये बच्चे कानून की निगाह मेँ वैसे तो वैध संतान मानी जाती है, लेकिन पैतृक संपत्ति की हिस्सेदारी मेँ उसका अन्य सहभागियों जैसा हक नहीं होगा | वह बच्चा सिर्फ पैतृक संपत्ति के बटवारे के बाद पिता को मिले पैतृक संपत्ति के हिस्से मेँ से एक हिस्सा पाने का अधिकारी होगा |

सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि हिन्दू लॉं मेँ कानूनी शादी से पैदा संतान संयुक्त हिन्दू परिवार का हिस्सा होती है, और उसका संयुक्त परिवार की पैतृक संपत्ति पर अन्य सहभागियों जैसा अधिकार होता है और कानून मेँ उन्हें यह अधिकार जन्म से ही प्राप्त होता है | इसके साथ ही बेटियों को भी पैतृक संपत्ति मेँ समान हक होता है |

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