पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले के संबंध में ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा की संपत्ति कुर्क की है। छत्तीसगढ़ के डिप्टी सीएम अरुण साव ने कहा, “छत्तीसगढ़ में आपराधिक सिंडिकेट बनाकर 2 हजार करोड़ से ज्यादा का शराब घोटाला किया गया, उस मामले की जांच ED कर रही है और जांच में मिले तथ्यों के आधार पर कार्रवाई की जा रही है। हर कार्रवाई में कांग्रेस एक ही बात कहती है (कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है)।”
दरअसल, बीते दिन शुक्रवार को ईडी ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले के संबंध में 6.15 करोड़ रुपये की तीन अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। इन संपत्तियों में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा की संपत्ति भी शामिल है। ED की इस कार्रवाई को कांग्रेस ने राजनीति से प्रेरित बताया था। इस डिप्टी सीएम अरुण साव ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि, ED को जांच में जो तथ्य मिले है यह कार्रवाई उस आधार पर की गई है।
ईडी ने छत्तीसगढ़ राज्य में शराब घोटाले के मामले में आईपीसी, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत एसीबी/ईओडब्ल्यू छत्तीसगढ़ द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), रायपुर जोनल कार्यालय ने छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले के संबंध में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत 6.15 करोड़ रुपये की तीन अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। ईडी ने बताया कि, कांग्रेस भवन, सुकमा, कवासी लखमा के नाम पर रायपुर में आवासीय घर और हरीश कवासी (कवासी लखमा के बेटे) के नाम पर सुकमा में आवासीय घर को कुर्क किया गया है। जांच के अनुसार, इन इमारतों का निर्माण अपराध की आय (पीओसी) से किया गया पाया गया है और इसलिए उन्हें कुर्क किया गया है।
ईडी की जांच से पता चला कि छत्तीसगढ़ के तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा शराब घोटाले से हर महीने 2 करोड़ रुपये प्राप्त कर रहे थे और इस तरह 36 महीनों में 72 करोड़ रुपये पीओसी प्राप्त कर चुके थे। जांच के दौरान महत्वपूर्ण सबूत जब्त किए गए, जिनसे पता चला कि कवासी लखमा ने ऊपर बताई गई संपत्तियों के निर्माण में नकदी का उपयोग किया।
