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पुलिस ने Miss गोरखपुर के साथ की मारपीट

पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक

सोमवार यानी 9 जून को देर रात पुलिस ने सिमरन के साथ की मारपीट। Miss गोरखपुर रहीं सिमरन गुप्ता ने 2018 में ‘मिस गोरखपुर’ का खिताब जीता। उसके बाद उन्‍होंने कई विज्ञापनों में भी वह नजर आईं। आर्थिक तंगी और करियर चैलेंज की वजह से वह ‘मॉडल चाय वाली’ बनकर सड़क पर उतर आई।’

बता दें कि सिमरन ‘मॉडल चाय वाली’ के नाम से लखनऊ में चर्चित हैं। सिमरन (मॉडल चाय वाली ) का कहना है कि सोमवार यानी 9 जून को देर रात पुलिस ने मारपीट की थी। 10 जून को चौकी इंचार्ज और सिपाही लाइन हाजिर कर दिए गए। सिमरन ने बताया कि सिविल ड्रेस में आए पुरुष सिपाही ने मेरा हाथ पकड़कर मोबाइल छीन लिया। प्राइवेट कार में जबरदस्ती बैठाने की कोशिश की। दबाव में लेकर उससे झूठे बयान दिलवाए। यह सबकुछ अवैध उगाही के लिए किया।

सिमरन ने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद वह मॉडलिंग में अपना करियर बनाने में जुट गईं। फिलहाल वह आदर्श कॉम्पलेक्स, इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, सीतापुर रोड के पास ‘मॉडल चाय वाली’ के नाम से दुकान चलाती हैं। सिमरन ने बताया कि उन्होंने ‘मॉडल चाय वाली’ की शुरुआत 2022 में गोरखपुर से की थी। वहां कभी कोई परेशानी नहीं हुई। गोरखपुर में रात 2-3 बजे भी बाहर रहती थी, लेकिन कभी किसी ने आंख नहीं दिखाई।

सिमरन ने बताया- घटना रात करीब पौने दो बजे की है ,जब वह अपनी दुकान बंद कर सामान समेट रही थी। तभी सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी ब्लैक कार से आए और बिना कुछ पूछे मारपीट शुरू कर दी। दुकान के पास एक अन्य प्रतिष्ठान में रंगाई-पुताई का काम चल रहा था। वहीं पर मेरे आसपास के कुछ और साथी भी मौजूद थे। सिमरन का कहना है कि पुलिसकर्मी निजी कार से आए थे। उनके पास कोई ड्यूटी वाहन नही था और न ही उनके पास कोई पहचान पत्र या बैज था। महिला कॉन्स्टेबल ने भी अपने नाम छिपा रखा था। उन्होंने अपमानजनक भाषा का भी इस्तेमाल किया।

यहां राजधानी में पुलिस ही डराने लगी है। राजधानी की पुलिस बेवजह परेशान कर रही है। दुकान खोलने और बंद करने का पूरा रिकॉर्ड है। मेरी दुकान रोजाना तय समय पर ही बंद होती है। बावजूद इसके पुलिसकर्मी लगातार अनावश्यक दबाव बना रहे हैं। मैं मेहनत करके अपने परिवार को संभालती हूं, लेकिन पुलिसकर्मी धमकी दे रहे हैं कि मुकदमा दर्ज कर देंगे और बर्बाद कर देंगे। स्थानीय पुलिस एक अन्य चाय दुकानदार को संरक्षण देती है। उसी दुकानदार के कहने पर मुझे टारगेट किया जा रहा है।

सिमरन ने बताया कि घटना के बाद भी पुलिसकर्मी मेरे परिवार को धमका रहे हैं। 1090 और 112 पर कॉल करने के बावजूद राहत नहीं मिली। मेरा अब पुलिस से भरोसा उठ गया है। सिमरन ने महिला आयोग में अपनी गुहार लगायाऔर कहा बस यही चाहती हूं कि मुझे और मेरे परिवार को सुरक्षा दी जाए।

कोरोनाकाल में पिता की नौकरी चले के बाद बाद सिमरन ने बिजली विभाग में संविदा पर 5 महीने नौकरी की। सैलरी नहीं मिली। इससे परिवार पर आर्थिक संकट आने लगा तो उन्होंने नौकरी छोड़ दी। और चाय का काम शुरू किया।

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