पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबन्ध संपादक :
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आगरा और मथुरा में ई-रिक्शा के पंजीकरण पर रोक लगाने की अधिसूचना को रद्द कर दिया है। लोकसभा चुनाव 2024 के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को तगड़ा झटका दिया है। इस दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि कानून के तहत ट्रैफिक अभियंत्रित होने के आधार पर ई-रिक्शा का पंजीकरण रोकने का अधिकार ट्रांसपोर्ट अधिकारी को नहीं है।वह ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए यातायात प्रतिबंधित कर सकते हैं,लेकिन पंजीकरण पर रोक नहीं लगा सकते।
सहायक क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट अधिकारी मथुरा व आगरा ने 7 नवंबर 2023 व 8 जनवरी 2024 को अधिसूचना जारी कर ऑटो ई-रिक्शा के पंजीकरण पर रोक लगा दी थी। जिसे डीलरों ने चुनौती दी थी । याची का कहना था कि उत्तर प्रदेश मोटर वाहन नियमावली के नियम 178 पंजीकरण प्रतिबंधित करने का सरकार को अधिकार नहीं है ।
यह अनुच्छेद 19(1) (जी) का उल्लंघन है। सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि ई -रिक्शा वाली ऑटो सहित सीएनजी ऑटो यातायात नियमों का पालन नहीं करते। इनकी जरूरत से अधिक संख्या होने से ट्रैफिक समस्या खड़ी हो रही है। अकेले मथुरा शहर में 14748 ई-रिक्शा, 12346 सीएनजी, थ्री व्हीलर रिक्शा 695 ऑटो चल रहे हैं। 105 से अधिक ई-रिक्शा डीलरशिप है। मथुरा आगरा की ट्रैफिक व्यवस्था को देखते हुए जनहित में बैन लगाया गया है।
कोर्ट ने कहा कि नियम 178 किसी सड़क या क्षेत्र की ट्रैफिक कंट्रोल के लिए वहां नियंत्रित करने या प्रतिबंधित करने का अधिकार देता है। किंतु पंजीकरण बैन करने का अधिकार नहीं देता । यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मथुरा के श्री वृंदावन ऑटो सहित 6 ऑटो एजेंसियों की याचिकाओ को स्वीकार करते हुए दिया है। इसीलिए ई- रिक्शा पंजीकरण बंद करने का अधिकार नहीं है। बिना किसी कानूनी अधिकार के पंजीकरण पर बैन लगाया गया है।सरकार को नियम बनाने का अधिकार है।वह ट्रैफिक कंट्रोल के नियमों में बदलाव कर सकती है।