पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक :
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में पदस्थ जस्टिस दुप्पाला वेंकटरमना 2 जून को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले आयोजित विदाई समारोह में जस्टिस ने कहा कि साल 2023 में उन्हें परेशान करने के लिए उनका तबादला गृह राज्य आंध्र प्रदेश से मध्य प्रदेश हाई कोर्ट किया गया था।
‘ईश्वर न तो माफ करता है न ही भूलता है’, ये शब्द किसी आम नागरिक के नहीं बल्कि हाई कोर्ट के एक जज के हैं। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति दुप्पाला वेंकटरमणा ने मंगलवार को अपने विदाई समारोह में गहरी कड़वाहट के साथ यह बात कही। न्यायमूर्ति वेंकटरमणा ने अपना दर्द बयान करते हुए कहा कि शायद मेरा तबादला आदेश गलत इरादे से मुझे परेशान करने के लिए जारी किया गया था। अपने गृह राज्य (आंध्र प्रदेश) से स्थानांतरित होने पर मुझे पीड़ा हुई। मैं उनके अहंकार को संतुष्ट करके खुश हूं।
उन्होंने कहा कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने मेरे चुने गए विकल्प पर विचार नहीं किया।साथ ही कहा कि मुझसे विकल्प मांगे गए थे। मैंने कर्नाटक को चुना था ताकि मेरी पत्नी वहां के एक अस्पताल में बेहतर इलाज हासिल कर सके। न्यायमूर्ति ने बताया कि उन्होंने 19 जुलाई 2024 और 28 अगस्त 2024 को सर्वोच्च न्यायालय को आवेदन भेजकर अपनी पत्नी की बीमारी की गंभीरता को दोहराया था। उन्होंने ने कहा कि लेकिन मेरे आवेदन पर न तो विचार किया गया, न ही इन्हें खारिज किया गया। उन्होंने अपनी पत्नी की पीएनईएस (पैरोक्सिस्मल नॉन-एपिलेप्टिक सीजर्स) से लड़ाई का जिक्र करते हुए यह बात कही। पीएनईएस, मस्तिष्क की गंभीर जटिलताओं से जुड़ी बीमारी है।
न्यायमूर्ति ने कहा कि मेरे जैसे न्यायाधीश सकारात्मक मानवीय लिहाज की अपेक्षा रखते हैं। मैं निराश और बहुत दुखी था। उच्चतम न्यायालय के वर्तमान प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई मेरे मामले पर विचार कर सकते हैं, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है क्योंकि आज मैं पद छोड़ रहा हूं। न्यायमूर्ति वेंकटरमणा की मेरा मानना है कि साधारण और रोजमर्रा के अनुभवों ने उन्हें सिखाया कि कड़ी मेहनत के अलावा सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है।