अफगानिस्तान तक होगा CPEC प्रोजेक्ट का विस्तार, क्या भारत के खिलाफ चीन-पाक की नई साजिश?

विशाल श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ : लखनऊ

अफगानिस्तान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार काबुल तक करने पर सहमत हो गया है। बीजिंग में चीन पाकिस्तान और अफगानिस्तान की त्रिपक्षीय बैठक में इस पर सहमति बनी। पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी चीन के दौरे पर हैं। तीनों देशों के बीच व्यापार और क्षेत्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई है।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। चीन ने एक बार वह कदम उठाया है जो दीर्घावधि में भारत के हितों पर प्रहार करने की क्षमता रखता है। बुधवार को बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ईशाक दार और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलाना आमिर खान मुत्तकी के बीच एक बैठक में यह फैसला हुआ कि चीन प्रायोजित ढांचागत कनेक्टिविटी की परियोजना बोर्डर रोड इनिसिएटिव (बीआरआई) में अफगानिस्तान भी शामिल होगा।

इस परियोजना के तहत चीन के औद्योगिक शहरों को जोड़ने वाला सड़क मार्ग पाक अधिकृत कश्मीर से होते हुए ग्वादर पोर्ट (बलूचिस्तान, पाकिस्तान) तक जाता है। अब इस पोर्ट से अफगानिस्तान को जोड़ने की चीन की मंशा परवान चढ़ेगी।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने दी जानकारी

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ से उक्त बैठक के बाद जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि, ‘तीनों विदेश मंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक कनेक्टिविटी के लिए त्रिपक्षीय सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है। इन तीनों के बीच कूटनीतिक संपर्क स्थापित करने, आपसी संवाद बढ़ाने, आपसी कारोबार बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाने को लेकर भी बात हुई है।’

आगे कहा गया, ‘इनके बीच बीआरआइ को लेकर सहयोग बढ़ाने और सीपीईसी को अफगानिस्तान तक ले जाने पर भी सहमति बनी है। तीनों मंत्रियों के बीच आतंकवाद के खिलाफ कदम उठाने और इस क्षेत्र में स्थिरता लाने पर भी विमर्श हुआ है।’

चीन ने एक तीर से साधे कई निशाने

  • चीन ने परियोजना के लिए तालिबान सरकार को तैयार कर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। पहला, चीन ने एक झटके में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच चल रहे तनाव को काफी हद तक कम कर दिया है। पाकिस्तान व अफगानिस्तान में पिछले कई महीनों से तनाव है। यहां तक कि भारत ने जब 7-8 मई, 2025 को ऑपरेशन सिंदूर लांच किया तो अफगानिस्तान ने इससे संबंधित मामले में परोक्ष तौर पर भारत का समर्थन किया।
  • दूसरा, बीआरआई के तहत चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के निर्माण का भारत इस आधार पर विरोध करता है कि यह कश्मीर के उस हिस्से से गुजरता है जिस पर पाकिस्तान ने अनाधिकृत तरीके से कब्जा कर रखा है। भारत चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान से जोड़ कर इस परियोजना को चुनौती देने की मंशा रखता है।
  • अब चीन ने यह संकेत दिया है कि वह अभी दौड़ में आगे है। दरअसल, ऑपरेशन सिंदूर के स्थगन के तुरंत बाद जब विदेश मंत्री एस जयशंकर और अफगान के विदेश मंत्री मुत्तकी के बीच बातचीत हुई थी तो उसमें ईरान स्थित चाबहार पोर्ट को अफगानिस्तान से जोड़ने की सड़क व रेल मार्ग की संभाव्यता पर भी बात हुई थी। तालिबान ने इसमें सहयोग देने का वादा किया था।

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