पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबन्ध संपादक :
सुप्रीम कोर्ट में रामदेव और बालकृष्ण ने अपने औषधि उत्पादन के असर के बारे में भ्रामक विज्ञापन के मामले में कोर्ट में दी गई अंडरटेकिंग के मुताबिक माफी मांगी। सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद के एम डी आचार्य बालकृष्ण की ओर से बिना शर्त माफी मांगने के लिए दायर हलफनामे को ठुकरा दिया। जस्टिस सीमा कोहली और जस्टिस अहसानुदीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा कि जब हमने रामदेव और बालकृष्ण को पेश होने के लिए कहा था, तो उन्होंने उससे भी बचने की कोशिश की थी। सुप्रीम कोर्ट ने माफीनामे को स्वीकार करने से मना कर दिया, और कहा कि हम इतने उदार नहीं बनना चाहते हैं।
कोर्ट ने पतंजलि के वकील मुकुल रोहतगी से कहा कि हलफनामा खारिज होगा। इसके लिए आप तैयार रहें। इस दौरान रोहतगी ने जब कहा कि लोगों से गलती हो सकती है। इस पर जस्टिस सीमा कोहली ने कहा कि हमसे उदारता की उम्मीद न करें ।
शीर्ष अदालत ने इस दौरान उत्तराखंड राज्य की लाइसेंसिंग अथॉरिटी के प्रति गहरी नाराजगी जताई और कहा कि वह कोर्ट को हल्के में नहीं ले। हम सख्ती से निपटेंगे । यह सब स्वीकार नहीं जा सकता। हम आगे की सुनवाई 16 अप्रैल को करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने पिछले चार-पांच साल में कुछ नहीं किया क्या वह गहरी नींद में थे ? अदालत ने अथॉरिटी की ओर से पेश अधिकारी से पूछा कि वह बताएं कि मामले में निष्क्रियता के क्या कारण थे ?
कोर्ट ने 2018 से लेकर अब तक के तमाम हलफनामा दायर करने को कहा है। अदालत का यह भी कहना है कि रामदेव और बालकृष्ण पेशी से बचने की कोशिश कर रहे थे ।और विदेश आने के बारे में झूठा दावा कर रहे थे ।इसके लिए कुछ फ्लाइट का टिकट भी दिखाया गया था ।तथ्य है कि जिस तारीख का हालकनामा दिया गया था उस तारीख का कोई टिकट नहीं था। इससे पता लगता है कि दोनों लोग पेशी से छटपटा रहे थे। जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता