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शहर के यातायात को बिगाड़ रहे हैं ई-रिक्शा

केकेपी न्यूज़:लखनऊ ब्यूरो

लखनऊ शहर का हर चौराहों व सड़कों पर वैसे तो पहले से ही जाम अपनी चरम सीमा पर था, लेकिन विगत कुछ वर्षों से ई-रिक्शा ने भी इस जाम को और बढ़ने में अपनी आमद करा ली है | शहर में ई-रिक्शा का आलम यह है कि मात्र पाँच माह में 4353 ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन हुआ है, और इससे कहीं ज्यादा बिना रजिस्ट्रेशन के ही शहर में फर्राटे भर रहें हैं |

शहर का कोई भी गली,सड़क या चौराहा ऐसा नहीं है | जहाँ दो-चार ई-रिक्शा खड़े न मिलें | इसका सबसे बड़ा कारण इनको यातायात नियमों मे मिली छूट है | क्योकि इलेक्ट्रिक वाहनों का परिवहन विभाग या यातायात विभाग जाँच नहीं करता | लखनऊ का पालिटेक्निक चौराहा हो या गोमती नगर का पत्रकारपुरम चौराहा | यहाँ भोर से लेकर देर रात तक ई-रिक्शा यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते हुये नज़र आयेंगे |

विगत एक साल से ई-रिक्शा ने ऑटो -टेंपो को पीछे छोड़ दिया है | इस संबंध में एआरटीओ प्रवर्तन सिद्धार्थ यादव का कहना है कि इनकी नियमित जाँच की जाती है, लेकिन कागज़ पूरे होने पर कार्रवाई नहीं कर सकते | ई-रिक्शा का कोई निर्धारित रूट तय होना चाहिए, के सवाल पर उन्होने कहा कि रूट का निर्धारण यातायात पुलिस का काम है |

वहीं ई-रिक्शा निर्माताओं का कहना है कि ई-रिक्शा का बीमा व फ़िटनेस करने के लिए कुछ ही लोग आते हैं | अधिकांश लोग ऐसे ही चला रहे हैं, क्योंकि उन्हें कोई रोकता नहीं है |

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