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लिव -इन- रिलेशन में रहने वाली महिला पार्टनर को नहीं मिलता पुरुष पार्टनर की सम्पति में अधिकार

केकेपी न्यूज़ ब्यूरो:

आज कल समाज में काफी परिवर्तन आ चुका है | युवा पीढ़ी में बिना शादी के पति-पत्नी की तरह यानि लिव-इन-रिलेशन में रहने का चलन काफी तेजी से बढ़ा है | इतना ही नहीं, इसे सुप्रीमकोर्ट ने भी क़ानूनी मान्यता दे दी है | लेकिन लिव- इन में रहने वाली महिला को अपने पुरुष पार्टनर की संपत्ति में किसी भी तरह का क़ानूनी अधिकार नहीं होगा | एक मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लिव-इन रिलेशनशिप न अपराध है और न ही पाप | शादी करने या न करने और सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाने का फैसला पूरी तरह से निजी है |

इसलिए 18 वर्ष की उम्र पूरी कर चुकी लड़की और 21 वर्ष की उम्र पूरी कर चुका लड़का लिव-इन -रिलेशन में रह सकते है | लेकिन लिव-इन -रिलेशन में रहने वाले पार्टनर को आज भी वो पूरे कानूनी अधिकार नहीं मिलते हैं | जो एक शादीशुदा महिला को अपने पति की संपत्ति में मिलते हैं | इसके चलते कई बार महिला पार्टनर को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है |

इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व कानून पर आधारित मासिक पत्रिका “कानून की फटकार” के मुख्य क़ानूनी सलाहकार डॉ चौधरी शमसुद्दीन खान का कहना है कि भारत में लिव-इन रिलेशन को बेहद कमजोर रिलेशनशिप माना जाता है | शादीशुदा महिला को जितना कानूनी अधिकार मिलता हैं | उतना लिव-इन – रिलेशनशिप में रहने वाली महिला को नहीं मिल पाता हैं |

डॉ चौधरी शमसुद्दीन खान का कहना है सबसे पहली बात तो यह है कि लिव-इन रिलेशन में रहने वाले लोगों के लिए अपने पार्टनर के साथ रिलेशनशिप होने की बात साबित करना बेहद मुश्किल होता है | अगर परिस्थिति जन्य साक्ष्य (circumstances evidence) जैसे रेंट एग्रीमेंट, जॉइंट बैंक अकाउंट, पार्टनरशिप बिजनेस के दस्तावेज या फिर बायलॉजिकल चाइल्ड के जरिए लिव-इन में होने की बात साबित भी हो जाती है, तो भी लिव-इन रिलेशन में रहने वाली महिला पार्टनर को पुरुष पार्टनर की संपत्ति में कोई कानूनी अधिकार नहीं मिलता है |

हालांकि महिला लिव-इन रिलेशन के पुरुष पार्टनर से गुजारा भत्ता के लिए दावा कर सकती है | महिला पार्टनर को गुजरा भत्ता मिल सकता है | घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम-2005 के तहत महिला अपने लिव-इन -रिलेशन के दौरान रहे पुरुष पार्टनर से शादीशुदा पत्नी की तरह गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है | यह दावा सिर्फ पुरुष पार्टनर के जीवित रहने पर ही किया जा सकता है |

अगर पुरुष पार्टनर की मौत हो जाती है | तो महिला पार्टनर को गुजारा भत्ता भी नहीं मिलेगा | इसके अलावा सीआरपीसी की धारा -125 के तहत भी महिला लिव-इन पार्टनर से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है | लिव-इन-रिलेशन में रहने वाली महिला को पुरुष पार्टनर की संपत्ति में भले ही कोई कानूनी अधिकार न मिले | लेकिन उनकी बायोलॉजिकल संतान को पूरे अधिकार मिलते हैं |

हिंदू मैरिज एक्ट के तहत लिव-इन से जन्मे बच्चे को वो सभी कानूनी अधिकार मिलते हैं | जो शादीशुदा दंपति से जन्मे बच्चे को मिलते हैं | लिव-इन-रिलेशन से पैदा हुआ बच्चा अपने बायोलॉजिकल पिता की संपत्ति में हिंदू सक्सेशन एक्ट के तहत हिस्सा हासिल कर सकता है |

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