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लचर पुलिस की विवेचना से निर्दोष जा रहे सलाखों के पीछे

केकेपी न्यूज़ ब्यूरो:

कोर्ट तथ्य व सबूतों के आधार पर अपना फैसला सुनाती है | ये तथ्य व सबूत को इकठ्ठा करना पुलिस की जिम्मेदारी है | लेकिन जब पुलिस ही गलत सबूत कोर्ट में पेश करे तो कोर्ट से सही फैसले की उम्मीद कैसे करें | ऐसे ही एक मामला बहराइच में आया है | जिसमें एक निर्दोष व्यक्ति को 10 वर्ष की सजा मिली | कोर्ट से जिस महिला के अपहरण व दहेज़ उत्पीड़न के मामले में पति को 10 वर्ष की सजा मिली, वही महिला 12 वर्ष बाद जिन्दा मिल गयी | कोर्ट ने उस महिला को पुलिस अभिरक्षा में वन स्टाप सेंटर भेज दिया है और पुलिस को पुनर्विवेचना का आदेश दिया है |

दरअसल,उप्र के बहराइच जिले के जमापुर निवासी रामावती का विवाह पास के ही गाँव निवासी कंधई से 2006 में हुआ था | नवम्बर 2009 में रामावती ससुराल से गायब हो गयी | जिसकी एफआईआर रामावती के मायके वालों की तरफ से अपहरण व दहेज़ उत्पीड़न के रूप में दर्ज कराया गया | जिस पर पुलिस ने सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया |

पुलिस द्वारा पेश किये गये सबूतों के आधार पर 30 अक्टूबर 2017 को कोर्ट ने पति कंधई को अपहरण कर गायब करने का दोषी करार देते हुए 10 वर्ष की सजा सुना दी | बाकी अन्य लोगों को साक्ष्य के आभाव में बरी कर दिया | पीड़ित पक्ष की पैरवी करने वाले रिश्तेदार योगेश कुमार लोधी ने अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर महिला को खोज निकला और पुलिस को सूचना दी | अब पुलिस पुनर्विवेचना की बात कह रही है |

अब प्रश्न यह उठता है कि पुलिस अपनी पहली विवेचना सही तरीके से की होती तो एक निर्दोष 10 वर्ष तक जेल में बंद नहीं रहता | अब भले ही वह जेल से रिहा हो जाय, लेकिन 10 वर्ष से वह जिस जुर्म की सजा भुगत रहा था | वास्तव में वह जुर्म उसने किया ही नहीं था |

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