केकेपी न्यूज़ ब्यूरो:
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि हम विचार करेंगे कि क्या 16 वर्ष की नाबालिग मुस्लिम लड़की अपनी मर्जी से शादी कर सकती है | उच्च न्यायलय ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की याचिका पर सम्बंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है |
दरअसल, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 13 जून के एक फैसले में 16 वर्ष की नाबालिग मुस्लिम लड़की की मर्जी से 21 वर्ष के मुस्लिम लड़के से की गयी शादी को वैध मानते हुए कहा था कि पूर्व के कई फैसलों को देखने से साफ़ है कि मुस्लिम लड़की की शादी के मामले में मुस्लिम लॉ लागू होगा |
हालाँकि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि उनके सामने शादी की वैधता का मुद्दा नहीं है | बल्कि दोनों की ओर से जताए गए जान के खतरे को देखते हुए सुरक्षा देने का है | 16 साल की नाबालिग मुस्लिम लड़की की अपनी मर्जी से शादी करने को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा सही ठहराए जाने को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल किया था | राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कहना है कि 16 वर्ष की लड़की कानूनन नाबालिग है,और वह अपनी मर्जी से शादी नहीं कर सकती |