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जबरन माँग में सिंदूर भरना, कानून के तहत मान्य विवाह नहीं -हाईकोर्ट

पूनम शुक्ला:मुख्य प्रबन्ध संपादक:

पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी महिला की माँग मे जबरदस्ती सिंदूर लगा देना हिन्दू कानून के तहत मान्य विवाह नहीं है | एक हिन्दू विवाह तब तक मान्य नहीं होता, जब तक स्वतंत्रता से लिया गया फैसला न हो और सप्तपदी यानि दूल्हा और दुल्हन द्वारा पवित्र अग्नि के सात फेरे लेने वाली रस्म पूरी न गयी हो |

दरअसल, याचिकाकर्ता रविकान्त ने अपनी याचिका में कहा था कि 10 वर्ष पहले वह सेना में सिग्नल मैं के पद पर तैनात था | जब वह छुट्टी पर घर आया था तो उसी समय लखीसराय जिले में उसका व उसके चाचा का अपहरण कर लिया गया | अपहरणकर्ताओं ने बंदूक की नोक पर उससे दुल्हन की माँग में सिंदूर लगाने के लिए मजबूर किया | इस याचिका पर 10 वर्ष बाद पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश पीबी बजनथ्री व न्यायाधीश अरुण कुमार झा की पीठ ने उक्त फैसला देते हुये कहा कि प्रतिवादी दुल्हन यह साबित करने मे विफल रही कि सप्तपदी का मौलिक अनुष्ठान कभी पूरा हुआ |

इस तरह का कथित विवाह कानून की नज़र में अमान्य है | कोर्ट ने इसे “जबरन” विवाह की संज्ञा देते हुये कहा कि हिन्दू विवाह अधिनियम के प्रविधानों के अवलोकन से यह स्पष्ट है कि विवाह तब पूर्ण व बाध्यकारी हो जाता है, जब दूल्हा व दुल्हन पवित्र अग्नि के :चारो ओर सात फेरे लेते हैं | जिसे सप्तपदी कहा जाता है | यदि शादी में सप्तपदी नहीं हुई है, तो शादी पूरी नहीं मानी जाएगी |

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