पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबन्ध संपादक :
चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय में जागन (अरुणाचल प्रदेश के लिए चीन की ओर से दिया गया नया नाम ) में 30 जगह के नए नाम जारी किए हैं। इसके पहले चीन ने 2017 में सूची जारी की थी, जिसमें 6 नए नाम शामिल थे । 2021 में 15 जगह के नए नाम दिए गए थे, वहीं 2013 में 11 नए नाम दिए गए थे। चीन की ओर से अरुणाचल प्रदेश की जगह के नाम बदलने की हरकत का भारत पहले से ही विरोध करता रहा है।
अभी हाल ही में चीन ने अरुणाचल प्रदेशों की कुछ और जगह के नए नाम दिए हैं। उसकी चौथी सूची में 30 जगह के नए नाम शामिल है। चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपने दावे की मजबूती देने के लिए यहां की जगह के लिए नए नाम जारी करता रहा है। चीन की इस हरकत पर भारत ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमारा हिस्सा था, और रहेगा, नाम बदलने से कुछ बदलने वाला नहीं है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि आर्थिक मोर्चे पर चीन से मुकाबला करने के लिए भारत को भी निर्माण( मैन्युफैक्चरिंग) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा प्रमुख क्षेत्र है। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में सत्ता में आने से पहले की सरकारों ने नजरअंदाज किया था । उन्होंने कहा कि चीन के साथ सीमा पर तनाव के चलते नई दिल्ली – पेंइचिंग संबंधों में असामान्यता पैदा हुई है । भारत की सोच बिल्कुल स्पष्ट है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता नहीं होगी तब तक दोनों एशियाई शक्तियों के बीच संबंधों में सुधार नहीं होगा।
विदेश मंत्री जयशंकर ने सूरत में एक कार्यक्रम में उद्योग जगत के नेताओं के साथ चर्चा के दौरान कहा कि अगर हमें चीन से मुकाबला करना चाहिए तो इसका समाधान यही है कि हम यहीं विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करें। वहीं उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ तनावपूर्ण संबंधों और सीमा पार से प्रायोजित आतंकवाद से नई दिल्ली की लड़ाई से संबंधित सवाल पर जयशंकर ने कहा कि भारत को आतंकवाद पर कभी समझौता नहीं करना चाहिए ।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को एक प्रेस में कॉन्फ्रेंस में कहा कि अगर मैं आपके घर का नाम बदल दूं… तो क्या वह मेरा हो जाएगा । अरुणाचल भारत का राज्य था ,है ,और हमेशा रहेगा ,नाम बदलने से कुछ होने वाला नहीं है।