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गोरा बनाने वाली क्रीम से किडनी रोग का जोखिम

पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबन्ध संपादक: :

एक महिला और एक पुरुष ने अलग-अलग मामलों में गोरा होने की क्रीम चेहरे पर लगाई। इसके बाद उसके शरीर में सूजन आ गई । जांच होने पर पता चला कि क्रीम से दोनों किडनी खराब हो रही थी। एक अध्ययन के अनुसार त्वचा का गोरापन बढ़ाने वाली क्रीमों के इस्तेमाल से भारत में किडनी रोग की समस्याएं बढ़ रही हैं । इन क्रीमों में पारा की अधिकतम मात्रा किडनी को नुकसान पहुंचाने वाली मानी जाती है ।

भारत में गोरा होने की क्रीम यानी फेयरनेस क्रीम का बाजार काफी बड़ा है, और लोगों के बीच इस तरह की क्रीम काफी प्रचलित है। बहुत से लोग अपने दैनिक जीवन में गोरा होने की क्रीम का इस्तेमाल करते हैं। मेडिकल जनरल किडनी इंटरनेशनल में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि उच्च पारा सामग्री वाली फेयरनेस के बढ़ते उपयोग से मेंब्रेनर्स नेफ्रोपैथी के मामले बढ़ रहे हैं।
शोधकर्ताओं में से एक नेफ्रोलॉजी विभाग एस्टर एमआईएमएस अस्पताल कोटक्कल केरल से जुड़े साजिश शिवदास कहते हैं कि पारा त्वचा के माध्यम से अवशोषित हो जाता है,और किडनी के फिल्टर पर कहर बरपाता है । जिससे नेफ्रोटिक सिंड्रोम के मामले में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि क्रीम का उपयोग करने वाले लोग,एक परेशान करने वाले लत का वर्णन करते हैं।

यह ऐसी स्थिति है जो किडनी फिल्टर को नुकसान पहुंचती है,और प्रोटीन रिसाव का कारण बनती है। एमएन एक आटोइम्यून बीमारी है। जिससे किडनी विकार नेफ्रोटिक सिंड्रोम होता है । इसके चलते शरीर, मूत्र के माध्यम से बहुत अधिक प्रोटीन उत्सर्जित करता है। जानकारी तो यह भी मिलती है कि इन क्रीम का उपयोग बंद करने से त्वचा का रंग और गहरा होने लग जाता है।

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