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कुतुबमीनार,कुतुबुद्दीन ऐबक की नहीं बल्कि सम्राट विक्रमादित्य की वेधशाला

केकेपी न्यूज़ ब्यूरो :

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पूर्व निदेशक धर्मवीर शर्मा ने कुतुबमीनार को लेकर एक नया खुलासा करके तहलका मचा दिया है | धर्मवीर शर्मा ने कहा है कि यह कुतुबमीनार नहीं बल्कि सूर्य स्तम्भ है | इसे कुतुबद्दीन ऐबक ने नहीं बनवाया है | इसे राजा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने खगोलविज्ञानी वराह मिहिर के नेतृत्व में आज से करीब 1700 वर्ष पूर्व पांचवी शताब्दी में एक मीनार के रूप में बनवाया था | जिसमें नक्षत्रों की गणना की जाती थी | 27 नक्षत्रों की गणना के लिए इस स्तम्भ में दूरबीन वाले 27 स्थान बने हैं |

धर्मवीर शर्मा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के दिल्ली मंडल में तीन बार अधीक्षण पुरातत्वविद रहते हुए कुतुबमीनार में कई बार संरक्षण कार्य कराया था | उस दौरान अनेकों बार उसके अन्दर गये हैं और उस देवनागरी लिखावट को भी देखा है जो उसके अन्दर है | श्री शर्मा ने दावा करते हुए कहा है कि पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि कुतुबमीनार एक बहुत बड़ी वेधशाला थी |

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