केकेपी न्यूज़ ब्यूरो:लखनऊ
सुप्रीमकोर्ट ने 2018 में जिन दो विधेयकों मे से एक को कमजोर व दूसरे को समाप्त कर दिया था, उन्हें अब भारतीय न्याय संहिता से हटा दिया गया है | 6 सितम्बर 2018 कोसुप्रीमकोर्ट के पाँच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से धारा 377 के एक हिस्से को अपराध की श्रेणी से हटा दिया था | जिसमें कहा गया था कि कोई भी किसी पुरुष, महिला या जानवर के साथ अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे आजीवन कारावास से लेकर 10 वर्ष तक की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी लगाया जाएगा | लेकिन अब नए भारतीय न्याय संहिता के विधेयक में अप्राकृतिक शारीरिक संबंध पर कोई प्रविधान नहीं है |
इसी तरह 27 सितम्बर 2018 को सुप्रीमकोर्ट के पाँच न्यायधीशों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से आईपीसी की धारा 497 को निरस्त कर दिया था | जिसके तहत कोई विवाहित पुरुष किसी विवाहित या अविवाहित महिला से शारीरिक संबंध बनाता है तो उस पुरुष को अपराध की श्रेणी मे रखा गया था, लेकिन महिला पार्टनर को इसके लिए दंडित नहीं किया जाता था | अब नए भारतीय न्याय संहिता के विधेयक में पुरुष पर अपराध से संबन्धित कोई प्रविधान नहीं है |