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अमेरिका ने भारत को दिया ईंधन खरीद का ऑफर, कहा, रूस के बजाय भारत उससे खरीदे ईंधन

नई दिल्ली। रूस से कम लागत पर ईंधन की खरीद करने को लेकर भारत के खिलाफ पश्चिमी देशों के विरोध के बीच अमेरिका ने कहा है कि रूस से तेल खरीद के भुगतान को लेकर भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं हैं। हालांकि उसे आशा है कि भारत अपनी ईंधन आवश्यकताओं की पूर्ति रूस की बजाय अमेरिका से करेगा।

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने अमेरिका रूस के खिलाफ प्रतिबंधों का पालन करने के लिए भारत और चीन पर दबाव बनाने जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका का संदेश है कि हर देश को घोषित प्रतिबंधों का पालन करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने पिछले हफ्ते भारत दौरे के दौरान स्पष्ट किया था कि अमेरिका नहीं मानता है कि भारत का रूस से ईंधन एवं अन्य वस्तुओं का आयात बढ़ाना उसके हित में है।

उन्होंने कहा, जैसा कि आप जानते हैं हमारे उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह हाल ही में भारत दौरे पर थे। आप जानते हैं, अभी कुछ रिपोर्टिंग दी गई है, ऊर्जा भुगतान पर प्रतिबंध नहीं हैं। इस बारे में कोई निर्णय हर देश का अपना निर्णय है। हम इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि सब देश अपने निर्णय लें। हमने अपना निर्णय लिया है और अनेक अन्य देशों ने अपने स्तर पर रूस से ऊर्जा आयात पर प्रतिबंध लगाने के फैसले लिये हैं।

उन्होंने कहा कि सिंह ने अपने भारत दौरे में समकक्षों को स्पष्ट रूप से कहा है कि अमेरिका नहीं मानता है कि रूस से ऊर्जा और अन्य वस्तुओं का आयात बढ़ाना के लिए भारत के हित में है। उन्होंने यह भी माना कि रूस से भारत का ऊर्जा आयात भारत की कुल ऊर्जा जरूरतों का केवल एक से दो प्रतिशत मात्र है।

उन्होंने कहा कि सिंह ने अमेरिकी प्रतिबंधों की व्यवस्थाओं को विस्तार से समझाया है और दोहराया है कि किसी भी देश या संस्था को उनका पालन करना चाहिए। हमने यह भी स्पष्ट किया कि हम उनकी रूस पर निर्भरता को थोड़ा सा भी कम करके अपनी भागीदारी बढ़ा सके तो यह संतोषजनक बात होगी।

रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कथित तौर पर भारत को रूस के साथ संबंध बढ़ाने को लेकर नकारात्मक परिणामों के प्रति आगाह किया था। सिंह की टिप्पणी द्विपक्षीय वार्ता के लिए रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की भारत यात्रा से एक दिन पहले की थी। लावरोव के दौरे के दौरान भारत की ऊर्जा की खरीद और रुपये-रूबल भुगतान प्रणाली पर चर्चा हुई थी।

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