पूनम शुक्ला :मुख्य प्रबंध संपादक
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को फैसला किया कि भारत की अगली जनगणना में जाति गणना भी शामिल होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति ने यह फैसला लिया। फैसले की घोषणा करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जनगणना केंद्र के दायरे में आती है लेकिन कुछ राज्यों ने सर्वेक्षण के नाम पर जाति गणना की है।
आगामी बिहार विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक रूप से रणनीतिक कदम उठाते हुए केंद्र ने बुधवार को आगामी जनगणना में जाति गणना को “पारदर्शी” तरीके से शामिल करने के अपने फैसले की घोषणा की। पिछली बार भारत की पूरी आबादी की गणना जाति के आधार पर स्वतंत्रता-पूर्व भारत में 1931 में की गई थी। तब से, दशकीय जनगणना अभ्यास में केवल अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी/एसटी) की गणना की जाती है। जनगणना का कार्य अप्रैल 2020 में शुरू होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हो गई। 2021 की जनगणना को शुरू में कोविड-19 महामारी के कारण अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
गुरुवार को कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “कांग्रेस सरकारों ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है। आजादी के बाद से अब तक जितनी भी जनगणना हुई है, उसमें जाति को शामिल नहीं किया गया। मंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जातिगत सर्वेक्षण किए हैं। उन्होंने कहा कि अब मोदी सरकार का संकल्प है कि आगामी अखिल भारतीय जनगणना प्रक्रिया में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाए। ये आरोप कांग्रेस शासित तेलंगाना और कर्नाटक में किए गए सर्वेक्षणों के संदर्भ में थे।
उन्हेंने कहा, यह अच्छी तरह से समझा जा सकता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने जाति जनगणना का इस्तेमाल सिर्फ़ राजनीतिक हथियार के तौर पर किया है। कुछ राज्यों ने जातियों की गणना के लिए सर्वेक्षण किए। मंत्री ने आरोप लगाया कि विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों ने राजनीतिक कारणों से जातिगत सर्वेक्षण किए हैं। उन्होंने कहा कि अब मोदी सरकार का संकल्प है कि आगामी अखिल भारतीय जनगणना प्रक्रिया में जातिगत गणना को पारदर्शी तरीके से शामिल किया जाए।
कांग्रेस सहित विपक्षी दल देशव्यापी जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बना रहे हैं तथा बिहार, तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों ने ऐसे सर्वेक्षण कराए भी हैं।
शिक्षा और रोजगार के लिए आरक्षण उपायों का विस्तार करके अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) को भी शामिल किया गया है, जो लगभग एक सदी पहले ब्रिटिश काल की जनगणना के अनुमानों और अनुमानों पर आधारित है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस गणना से समावेश को बढ़ावा मिलेगा और प्रगति के नए रास्ते खुलेंगे ।