तृप्ति शुक्ला -न्यूट्रीशियनिस्ट
हमारे ऋषि मुनियों ने उपवास की महत्ता को सदियों से जानते थे | इसी जानकारी को आज वैज्ञानिक भी बताते हुए गर्व महसूस कर रहे हैं | अभी हाल ही में नेचर जर्नल में प्रकाशित चूहों के ऊपर किये गये एक शोध के आधार पर कहा गया है कि नियमित उपवास से आंत की बैक्टीरिया की गतिविधियों को बदलने में मदद करता है, और तंत्रिका क्षति से उबरने की उनकी क्षमता को बढ़ाता है |
इम्पीरियल कालेज ऑफ़ लन्दन के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि उपवास के कारण आंत के बैक्टीरिया ने 3-इन्डोल प्रोपियोनिक एसिड के रूप में जाना जाने वाला मेटाबोलाईट का उत्पादन बढ़ा दिया, जो तंत्रिका कोशिकाओं के सिरों पर एक्सान फाइबर जैसी संरचनाओं को पुनः उत्पन्य करने के लिए आवश्यक है | और ये शरीर की एनी कोशिकाओं को विद्युत रासायनिक संकेत भेजते हैं |
शोध में यह भी कहा गया है कि क्लोस्ट्रेडियम स्पोरोजेनेसिस नाम का बैक्टीरिया जो आईपीए पैदा करता है वह मनुष्यों के साथ साथ चूहों में भी पाया जाता है | इसके साथ ही आई पी ए इन्सान के खून में भी मौजूद होता है | जिससे मनुष्य का तंत्रिका तंत्र मजबूत रहता है |