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18 मार्च Holi 2022 : जाने इस बार की होली क्‍यों है खास और कोरोना कॉल में कैसे मनायें होली का पर्व

भारतीय परंपरा के जितने भी पर्व और त्योहार हैं, वे किसी-न-किसी पौराणिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं। मगर उन सभी का कोई-न कोई वैज्ञानिक या पर्यावरणीय पक्ष भी है, जिसे नकारा नहीं जा सकता, जैसे होली कात्योहार। जिसमें रंग है, उमंग है और ढेर सारी मस्ती भी। इस मस्ती और उल्लास में सेहत की भी बात है। होली ऐसे समय पर आता है, जब मौसम में बदलाव के कारण लोग सुस्ती या थकान महसूस करते हैं।

ठंड के बाद मौसम की गर्माहट की वजह से शरीर में सुस्ती आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। ऐसे समय में होली का आना, शरीर की सुस्ती को दूर करने का एक अच्छा माध्यम भी है। रंगों की मस्ती और ढोल-नगाड़े के बीच जब लोग जोर से गाते हैं या बोलते हैं, ये सभी बातें शरीर को नई ऊर्जा प्रदान करती हैं। इसके अलावा जब शुद्ध रंग और अबीर शरीर पर डाला जाता है, तो इसका उस पर अनोखा प्रभाव होता है।

पहले की होली और वर्तमान की होली में अंतर

पहले होली पर लोग ढाक(पलाश) के फूलों या अन्य प्राकृतिक फूलों से रंगीन पानी और विशुद्ध अबीर और गुलाल तैयार किया करते थे, जिसका शरीर पर सुकून देने वाला प्रभाव पड़ता था।हालांकि आज होली में केमिकल रंगों का इस्तेमाल होने लगा है, जिसे सेहत की दृष्टि से बिल्कुल भी सही नहीं कहा जा सकता। होली में एक-दूसरे पर रंग-गुलाल आदि डालकर प्रेम और मित्रता का वातावरण उत्पन्न किया जाता है, जिससे सामाजिक सौहार्द्र बढ़ता है। सामाजिक सौहार्द्र के साथ-साथ रंगों का सेहत पर भी सकारात्मकअसर पड़ता है

होली के रंग क्या डालते हैं असर ?

रंग हमारे शरीर तथा मानसिक सेहत पर कई तरीके से असर डालते हैं, यह बात कई शोधों में साबित भी हो चुकी है। दरअसल, हमारा शरीर कई रंगों से मिलकर बना है। जब भी कोई अंग बीमार होता है, तो उसके रासायनिक द्रव्यों के साथ-साथ रंगों का भी असंतुलन हो जाता है। ऐसे में रंग चिकित्सा से उन रंगों को संतुलित कर, रोगों का उपचार किया जाता है, जिसे कलर थेरेपी भीकहते हैं। इसलिए रंगों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है।
त्योहार के बहाने ही सही, खुद को रंगीन बनाने का यह मौका अच्छा है। खुद भी रंगें, दूसरों को भी रंग दें। रंग बांटकर अपनी जिंदगी को रंगीन बनाएं, होली का संदेश भी तो यही है। एक बात और, जब हम किसी त्योहार के अवसर पर अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं, तो धूल-मिट्टी, मच्छरों, कीटाणुओं आदि का सफाया हो जाता है।साफ-सुथरा घर आमतौर पर उसमें रहने वालों को सुखद अहसास देने के साथ ही सकारात्मक ऊर्जा भी प्रवाहित करता है।

होली के बारे में क्या कहते हैं एक्सपर्ट

डॉ. राजेश मिश्रा (नेचुरोपैथ) कहते हैं कि होली का त्योहार मनाने का एक वैज्ञानिक कारण होलिका दहन की परंपरा से भी जुड़ा है। ठंड की समाप्ति और बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही पर्यावरण और शरीर में बैक्टीरिया की वृद्धि बढ़ जाती है। ऐसे में जब होलिका जलाई जाती है, तो परंपरा के अनुसार जब लोग जलती होलिका की परिक्रमा करते हैं, तो होलिका से निकला ताप शरीर और आसपास के पर्यावरण में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। जिसकी वजह से न सिर्फ पर्यावरण स्वच्छ होता है, बल्कि शरीर भी स्वस्‍थ होता है।

होली की तारीख

Holi 2022 Date: हिंदू पंचाग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. नए साल की शुरुआत होते ही लोग सालभर में आने वाले त्योहारों के बारे में जानना चाहते हैं. साल का सबसे बड़ा पहला त्योहार होली पड़ता है. बता दें कि साल 2022 में होली का त्योहार 18 मार्च के दिन पड़ रही है. वहीं, होलिका दहन 17 मार्च को किया जाएगा, जिसे लोग छोटी होली के नाम से भी जानते हैं. मान्यता है कि होलिका की आग में अपने अहंकार और बुराई को भी भस्म किया जाता है. इस बार होलिका दहन 17 मार्च को किया जाएगा और रंगों की होली एक दिन बाद 18 मार्च को खेली जाएगी. होली की पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा काल में होलिका दहन को अशुभ माना जाता है. वहीं, ये भी मान्यता है कि होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि में ही होना चाहिए. होलिका दहन का मुहूर्त इस बार रात 9 बजकर 03 मिनट से रात 10 बजे 13 मिनट तक रहेगा. पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दिन में 1 बजकर 29 बजे शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 18 मार्च दिन में 12 बजकर 46 मिनट पर होगा.

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