पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक :
कानपुर में डेंटिस्ट डॉ. अनुष्का तिवारी से हेयर ट्रांसप्लांट कराने वाले 2 पेशेंट (पनकी पावर प्लांट के सहायक अभियंता विनीत दुबे की और फर्रुखाबाद के इंजीनियर मयंक कटियार) की मौत हो गई। शुरुआती छानबीन में हेयर ट्रांसप्लांट डेथ केस में कॉमन पॉइंट्स भी मिले हैं। जो सबूत डॉ. अनुष्का के खिलाफ जाते हैं, उनमें दोनों इंजीनियर के परिवारों के बयान हैं। बैंक डिटेल हैं, जिसमें डॉक्टर को रुपए ट्रांसफर किए गए हैं।
ऑपरेशन के 24 घंटे के अंदर दोनों इंजीनियर की मौत हो गई। उनकी परिस्थितियां भी एक जैसी थीं। मतलब सिर में तेज दर्द, चेहरे पर सूजन, फिर तड़प-तड़पकर मौत। दोनों इंजीनियर के परिवारों ने पुलिस को लिखित बयान दिया है कि डॉ. अनुष्का से हेयर ट्रांसप्लांट कराने के 24 घंटे बाद मौत हो गई। दोनों ऑपरेशन डॉक्टर ने अपने OT टेक्नीशियन से करवाए थे। दवाओं के नाम सादे पर्चे पर लिखकर दिए गए। केस बिगड़ने पर उन्हें दूसरे प्राइवेट डॉक्टरों को दिखाने की सलाह दी। विनीत को अनुराग हॉस्पिटल में खुद अनुष्का ने ही एडमिट कराया।
डॉक्टर के खिलाफ दर्ज इस केस में पुलिस के सामने सबसे बड़ा चैलेंज कॉज ऑफ डेथ को साबित करने का है। क्योंकि, इंजीनियर विनीत दुबे की मौत के 54 दिन बाद ही मयंक कटियार का केस पुलिस तक पहुंचा। FIR दर्ज होने के बाद ,अब दोनों मामलों में जांच चल रही है। हालांकि अब पुलिस को सबसे पहले साबित करना होगा कि दोनों की मौत की वजह हेयर ट्रांसप्लांट में लापरवाही है। इसमें पुलिस के पास विनीत दुबे की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट तो है,
जबकि मयंक कटियार के मामले में ऐसी गुंजाइश नहीं बची है, क्योंकि उनकी बॉडी का बिना पोस्टमॉर्टम नहीं हो सका और अंतिम संस्कार कर दिया गया। ऐसे में डॉक्टर के खिलाफ चार्जशीट तैयार करने में पुलिस को मुश्किल आ सकती है।
डॉ. अनुष्का से हेयर ट्रांसप्लांट कराने वाले के एक पेशेंट कानपुर के बर्रा-2 के रहने वाले रामजी सचान से हुई , जो सुरक्षित हैं। उनसे बात करने पर उन्होंने कहा ,जी, मैंने उनकी ही क्लिनिक से ट्रीटमेंट लिया था मेरा तो हेयर ट्रांसप्लांट ठीक नहीं हुआ। ट्रीटमेंट फेल हो गया, सिर्फ 30% बाल आए हैं। मेरा 5 से 6 घंटे तक हेयर ट्रांसप्लांट चला था। उसमें काफी दर्द होता है। क्योंकि सिर में बहुत सारे इंजेक्शन लगते लगने से सिर एकदम भारी हो जाता है। उनका कहना है कि मेरा सिर एकदम पत्थर की तरह हो गया था। मेरे चेहरे में भी सूजन आ गई थी। मेरी दोबारा जाने की हिम्मत नहीं पड़ी। वो घंटे मेरे लिए बहुत खौफनाक थे।
डॉक्टर के खिलाफ पुलिस ने पहले लापरवाही में मौत की धारा में केस दर्ज किया, मगर 13 मई को धारा बदल दी गई। अब गैर इरादतन हत्या की धारा बढ़ा दी गई है। क्या इन धाराओं में डॉक्टर के खिलाफ पुलिस मजबूत केस बना सकेगी। पुलिस के एक्टिव होने के बाद महिला डॉक्टर ‘लापता’ हैं।