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सुप्रीमकोर्ट का मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इंकार

[पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबन्ध संपादक :

26 फरवरी-2023 से जेल मे निरुद्ध दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री व दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के मुख्य आरोपित मनीष सिसोदिया को सुप्रीमकोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर दिया है | सुप्रीमकोर्ट ने मनी लांड्रिग और सीबीआई दोनों ही मामलों में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाये ख़ारिज़ कर दी है |

कोर्ट ने अपने आदेश में सीबीआई के आरोप पत्र में मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत लगाए गए आरोपों को दर्ज़ किया है , जिसके मुताबिक नई आबकारी नीति होलसेलर डिस्ट्रीब्यूटर को अनुचित लाभ पहुँचाने व उसके बदले में अनुचित लाभ लेने के उद्देश्य से लाई गयी थी, और मनीष सिसोदिया उस साजिश में शामिल थे |

कोर्ट में सीबीआई का कहना है कि होलसेलर को लाभ पहुंचाने और उसके बदले में रिश्वत लेने के लिए आबकारी नीति में बदलाव करते हुये नई ड्राफ्टिंग की गयी | जिसमें होलसलर का कमीशन 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया | सुप्रीमकोर्ट ने सीबीआई के इस आरोप पत्र में इसकी साजिश,बैठकों की पूरी प्रक्रिया और होलसेलर को मिले अनुचित लाभ का जिक्र अपने आदेश में दर्ज़ किया है | उसमें कहा गया है कि कमीशन 7 प्रतिशत बढ़ाने से होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर को 338 करोड़ की अतिरिक्त आय हुई जो कि पीसी एक्ट की धारा-7 में अपराध की श्रेणी में आता है |

वहीं ईडी ने कहा है कि यह अपराध से जुटाई गयी रकम है | होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर ने यह रकम 10 महीने में अर्जित की है | इसलिए साबित होता है कि नई आबकारी नीति कुछ चुनिन्दा होलसेल डिस्ट्रीब्यूटर को अप्रत्याशित लाभ पहुँचाने के लिए बनाई गयी थी | उपरोक्त तथ्य को देखते हुये सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि मामले का विश्लेषण करने पर उसने कुछ पहलुओं को संदेहजनक माना है | लेकिन सीबीआई ने 338 करोड़ रुपए का एक पहलू तात्कालिक रूप से स्थापित होने की बात की है | इसलिए मनीष सिसोदिया को जमानत नहीं दी सकती |

दरअसल, सीबीआई ने कोर्ट में कहा है कि दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में चल रही जांच का ट्रायल 6 से 8 महीने में पूरा हो जाएगा | इसपर सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने अपने आदेश में सीबीआई के इस बयान को दर्ज़ करते हुये कहा कि यदि परिस्थितियों में कोई बदलाव होता है या अगले तीन महीने में ट्रायल की रफ्तार धीमी रहती है तो मनीष सिसोदिया को नई जमानत अर्ज़ी दाखिल करने का अधिकार होगा, और कोर्ट इस आदेश से प्रभावित हुये बिना उसे मेरिट के आधार पर निपटाएगा |

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