Saturday , May 3 2025

सुप्रीमकोर्ट का “बुलडोजर न्याय” पर दिशा-निर्देश

पूनम शुक्ला :मुख्य प्रबन्ध संपादक:

सुप्रीम कोर्ट ने ‘बुलडोजर जस्टिस’ को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि किसी आरोपी या दोषी के घर को सिर्फ उनके आपराधिक पृष्ठभूमि के आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता। कोर्ट ने अवैध निर्माण गिराने के लिए दिशानिर्देश तय किए हैं, जिनका उल्लंघन करने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

जमीयत उलेमा ए हिंद सहित कई संगठनों ने इस मुद्दे पर याचिकाएं दाखिल की थीं। सुप्रीम कोर्ट ने 17 सितंबर को बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाई थी और आज के फैसले के बाद ही इस पर स्पष्टता देखने को मिल रही है। कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई थी और याचिकाकर्ता को अंतरिम मुआवजा के रूप में 25 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था।

‘बुलडोजर जस्टिस’ पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपना बुलडोजर चला दिया। आरोपियों और यहां तक कि दोषियों के खिलाफ भी बुलडोजर ऐक्शन को शीर्ष अदालत ने गैरकानूनी और असंवैधानिक ठहराया है। अवैध निर्माण को गिराने को लेकर कोर्ट ने गाइडलाइंस तय कर दिए हैं। उनका उल्लंघन होने पर अफसरों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी। कोर्ट ने कहा कि घर सपना होता है और सपने नहीं तोड़ने चाहिए। आवास का अधिकार मूल अधिकार का हिस्सा है। बुलडोजर कार्रवाई से पहले नोटिस देना होगा। नोटिस के 15 दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं होगी। संबंधित पक्ष को व्यक्तिगत तौर पर अपना पक्ष रखने का मौका देना होगा। अगर तय प्रक्रिया पूरी किए बगैर बुलडोजर ऐक्शन होता है तो संबंधित अधिकारियों से हर्जाना वसूला जाएगा। 

कवि प्रदीप की कविता ‘घर एक सपना है जो कभी ना टूटे’ से शुरुआत करते हुए कोर्ट ने कहा कि केवल आरोपी होने मात्र से किसी का घर नहीं गिराया जा सकता। बिना पूर्व सूचना के संपत्ति नहीं गिर सकते 15 दिन पहले नोटिस देना होगा क्यों गिरा रहे हैं इसका आधार लिखना होगा, प्रभावित पक्ष को समय देना होगा। कि वह आदेश को कानूनी तौर पर चुनौती दे सके अगर चुनौती नहीं देना चाहते हैं, तो घर खाली करने के लिए समय दिया जाए । मनमानी कार्यवाही करने वाले अधिकारियों की सैलरी से मुआवजा वसूला जाएगान्यायिक कार्यों का अधिकार कोर्ट को है और कार्यपालिका कोर्ट की जगह नहीं ले सकती। कोर्ट ने अधिकारियों को कानून का पालन करने का निर्देश दिया और कहा कि अफसरों की जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए। दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि बुलडोजर एक्शन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और किसी भी आरोपी के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करना कानून को हाथ में लेना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि बुलडोजर का उपयोग तभी किया जाए जब कोई और विकल्प न हो। कोर्ट ने अंत में कहा कि कानून के शासन में किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘अगर संपत्ति को सिर्फ इसलिए ध्वस्त किया जाता है कि व्यक्ति आरोपी है तो यह पूरी तरह से असंवैधानिक है। कार्यपालिका यह नहीं तय कर सकती है कि कौन दोषी है और वह जज बनकर ये फैसला नहीं कर सकती कि वह दोषी है या नहीं, इस तरह की कार्रवाई लक्ष्मण रेखा पार करने जैसा है।’ कि कानून के शासन में किसी भी व्यक्ति की संपत्ति को धमकी देकर नहीं दबाया जा सकता। ‘बुलडोजर न्याय’ किसी भी सभ्य न्यायिक प्रणाली का हिस्सा नहीं हो सकता, और राज्य को कानून के तहत उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए ही अवैध अतिक्रमणों या अनाधिकृत निर्माणों को हटाना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 + 2 =

Time limit exceeded. Please complete the captcha once again.

E-Magazine