नितेश भारद्वाज: सह संपादक:
समलैंगिक कपल की ओर से सुप्रीमकोर्ट में पीआईएल दाखिल कर गुहार लगाई गयी है कि स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत समलैंगिक शादी को भी मान्यता दी जाय | इस गुहार वाली याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार व अटॉर्नी जनरल से नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब देने को कहा है |
याचिका दाखिल करने वाले समलैंगिक कपल की तरफ से पेश किये गये वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील देते हुए कहा कि नवतेज सिंह जोहर व पुत्तास्वामी पर फैसला आ चुका है | जिसमें सुप्रीमकोर्ट के फैसले के तहत समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर रखा गया है, और दूसरे फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना गया है | वहीं,समलैंगिक पुरुषों के जोड़े(गे कपल) ने भी सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि होमो सेक्सुअल की शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्यता दी जाय |
याचिकाकर्ता गे कपल सुप्रियो चक्रवर्ती व अभय डांग की तरफ से कहा गया है कि वह 10 वर्ष से पति-पत्नी की तरह से रह रहे हैं | दोनों को कोविड के दूसरे चरण में कोविड हुआ था | दोनों ठीक हो गये | तब दोनों ने तय किया कि अपने सम्बन्ध के नौवीं साल गिरह के मौके पर शादी करेंगे | इसके लिए दोनों ने दिसम्बर 2021 में इंगेजमेंट सेरेमनी भी किया था | उनके अनुसार इस सम्बन्ध को उनके पैरेंट्स का समर्थन मिला हुआ है | गे कपल याचिकाकर्ता ने कहा है कि स्पेशल मैरिज एक्ट लिंग के आधार पर भेदभाव करता है, जो गैर संवैधानिक है | इस एक्ट के अंतर्गत समलैंगिक के सम्बन्ध व शादी अवैध है |
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि संवैधानिक विकास के रास्ते में समलैंगिक की शादी भी एक सतत प्रक्रिया है, और अपनी पसंद की शादी करना हर एक आदमी का अधिकार है, लेकिन सुप्रीमकोर्ट हमेशा अंतरजातीय व अंतरधर्म की शादी की रक्षा करता है | नवतेज सिंह जोहर व पुत्तास्वामी केस में सुप्रीमकोर्ट ने कहा था कि लेस्बियन,गे,बाइ सेक्सुअल और ट्रांसजेंडर शख्स को समानता का अधिकार है, और उन्हें गरिमा के साथ जीने व निजता का अधिकार है |
अपनी पसंद की शादी का जो अधिकार सबको है | वह लेस्बियन,गे,बाइ सेक्सुअल और ट्रांसजेंडर शख्स को भी दिया जाना चाहिए |