केकेपी न्यूज़ ब्यूरो
केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि लिव-इन-रिलेशनशिप को शादी के रूप मे मान्यता नहीं दी सकती | कोर्ट ने अपनी टिप्पणी मे कहा है कि जब दो व्यक्ति एक समझौते के तहत एक साथ रहने लगते है तो वह किसी मैरिज एक्ट के दायरे मेँ नहीं आते हैं | लिव-इन-रिलेशनशिप का मतलब शादी होना नहीं होता है |
इसलिए इसमें तलाक की माँग नहीं की जा सकती | क्योंकि लिव-इन-रिलेशनशिप अभी तक कानूनी रूप से मान्यता प्रपट नहीं है | दरअसल, लिव-इन-रिलेशनशिप को लेकर केरल हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब लिव-इन-रिलेशनशिप मे रहने वाले एक कपल याचिकाकर्ता ने तलाक की दाखिल की |
केरल हाईकोर्ट का कहना है कि विवाह एक सामाजिक संस्था है, जिसे कानूनन मान्यता प्राप्त है | जो समाज मे सामाजिक व नैतिक आदर्शों को दर्शाता है | तलाक, कानूनी शादी मे बंधे दो व्यक्तियों को अलग करने का एक माध्यम है |