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मोरबी पुल हादसे पर सरकार को हाईकोर्ट की फटकार

केकेपी न्यूज़ ब्यूरो :

गुजरात हाईकोर्ट ने मोरबी पुल हादसे पर सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि पुल की मरम्मत के लिए ठेका देने के तरीके सही नहीं थे | 15 जून 2017 को टेंडर ख़त्म होने के बावजूद ओरेवा समूह को पुल के रख रखाव और प्रबंधन का काम बिना किसी समझौते के जारी रखने के लिए कहना संदेह के घेरे में आता है |

सुवो मोटो पॉवर के अंतर्गत दाखिल किये गए जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जानना चाहा कि ओरेवा समूह की घड़ी बनाने वाली कंपनी अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ वर्ष 2008 के समझौता ज्ञापन और वर्ष 2022 के समझौते में फिटनेस प्रमाण पत्र के सम्बन्ध में किसी तरह की शर्त लगाई गयी थी तो इसे नियंत्रित करने वाली अथॉरिटी कौन सी थी |

हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस अरविन्द कुमार व जस्टिस आशुतोष शास्त्री ने कहा कि ओरेवा समूह की कंपनी अजंता मैन्युफैक्चरिंग प्राइवेट लिमिटेड के साथ सरकार का जो समझौता हुआ है वह सिर्फ सवा पन्ने का है | जिसमे कोई शर्त नहीं रखी गयी है | यह समझौता एक सहमति के रूप में 10 वर्ष के लिए है |

मोरबी पुल के मरम्मत के लिए कोई टेंडर नहीं निकला गया और न ही,किसी तरह का एक्सप्रेशन ऑफ़ इन्टरेस्ट (रूचि की अभिव्यक्ति) जारी किया गया | आखिर इस कंपनी के लिए सरकार ने इतनी उदारता क्यों दिखाई |

कांग्रेस ने एसआईटी की रिपोर्ट पर उठाये सवाल

कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अंशुल अविजित ने कहा कि 30 अक्टूबर को हुए मोरबी पुल हादसे से जुड़ी एसआईटी की रिपोर्ट हाईकोर्ट द्वारा मांगे जाने के बावजूद क्यों नहीं पेश की गयी | अंशुल अविजित ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि गुजरात के जिस विकास मॉडल की बात होती है वह विकृत है,विनाशक है |

उन्होंने कहा कि कोविड काल में भी गुजरात में वेंटिलेटर घोटाला हुआ था | जिस पर हाईकोर्ट ने फटकार लगाई था | फिर भी सरकार पर कोई असर नहीं हुआ |

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