केकेपी न्यूज़ ब्यूरो:
एक कंपनी में नौकरी करते हुए दूसरी कंपनी के लिए काम करना यानि मूनलाइटिंग आजकल आई टी सेक्टर में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है | इसी मूनलाइटिंग के चलते कुछ कंपनियों ने अपने सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है | ऐसे में मूनलाइटिंग क़ानूनी है या गैरकानूनी है इस पर बहस छिड़ गयी है |
इस पर जानकारों का मानना है कि मूनलाइटिंग सर्विस रूल का अनैतिक या उलंघन हो सकता है, लेकिन इसे रोकने का कोई क़ानून अब तक नहीं बना है | पूर्व विधि सचिव पी के मल्होत्रा का कहना है कि किसी चीज को क़ानूनी या गैरकानूनी कहना इस बात पर निर्भर करता है कि क्या कोई कानून है जो इसे नियमित या निषिद्ध करता है | यदि सरकार ने इस पर कोई कानून नहीं बनाया है तो इसे गैरकानूनी होने का प्रश्न कहाँ से आता है |
अब रही बात कंपनी कि तो हर कंपनी को अपने काम काज की गोपनीयता रखने का अधिकार है | ऐसे में प्रशासनिक तौर पर देखा जाय तो कंपनी के नियम आपको कुछ निश्चित कार्य करने से रोकते हैं, और इसका उलंघन करने पर कंपनी आप के ऊपर उचित कार्रवाई कर सकती है |
सामान्य तौर पर देखा जाय तो अगर एक कर्मचारी किसी कंपनी में नौकरी करते हुए दूसरी कंपनी का भी कार्य करने लगे तो पूरी सम्भावना है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कुछ ऐसी जानकारी साझा कर सकता है जो उसे नहीं करना चाहिए | ऐसे में मूनलाइटिंग पर सरकार द्वारा भले ही कोई कानून न बनी हो, लेकिन कंपनी अपनी आतंरिक सुरक्षा के मद्देनज़र निर्णय ले सकती है | यह कंपनी की अपनी कानून व्यवस्था पर निर्भर करता है |