पूनम शुक्ला :मुख्य प्रबंध संपादक
मेधा पाटकर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के कुछ दिनों बाद दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना द्वारा उनके खिलाफ दायर 24 साल पुराने मानहानि मामले में प्रोबेशन बांड जमा नहीं करने पर गिरफ्तार कर लिया।
यह आपराधिक मानहानि का मामला 2001 में विनय कुमार सक्सेना ने उनके खिलाफ दर्ज कराया था ।सक्सेना ने 23 साल पहले यह मामला दायर किया था, जब वह गुजरात में एक एनजीओ का नेतृत्व कर रहे थे। मालूम हो कि मेधा पाटकर और वीके सक्सेना का ये मामला करीब 24 साल पुराना है। दोनों साल 2000 से ही एक-दूसरे के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उस समय मेधा पाटकर ने उनके और ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के खिलाफ विज्ञापन छपवाने के लिए वीके सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था।
उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता और कार्यकर्ता मेधा पाटकर की सजा को निलंबित कर दिया। सजा को निलंबित करते हुए, न्यायालय ने पाटकर को 25,000 रुपये का जमानत बांड भरने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई की तारीख 20 मई है। इससे पहले अदालत ने पाटकर को उपराज्यपाल वीके सक्सेना की तरफ से मानहानि मामले में उनकी दोषसिद्धि को बरकरार रखने के आदेश के खिलाफ अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी थी।