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केंद्र सरकार ने कृषि सेक्टर को लाभदायक बनाने पर दिया ज़ोर

पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबन्ध संपादक:

किसान संघ ने वित्त मंत्री के साथ कृषि सेक्टर को लाभदायक बनाने एवं खेती को टिकाऊ बनाने पर प्रमुखता से चर्चा की । किसान संघ सिंचाई की सुविधा को व्यापक बनाने और कृषि से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार की मांग की है। खासकर किसानों को सुविधा से जोड़ने पर ज्यादा जोर दिया गया है। कुछ किसान संगठनों ने कहा कि 65% आबादी अभी कृषि पर निर्भर है, इसीलिए खेती से जुड़ी सब्सिडी की राशि बढ़ाई जाए। खेती में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न उपकरणों पर लगने वाले जीएसटी उन्हें वापस देने की व्यवस्था हो ।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शनिवार को नई दिल्ली में जीएसटी काउंसिल की 53वीं मीटिंग होने जा रही है। सूत्रों का कहना है कि केंद्र और राज्य के बीच वित्तीय संबंधों व वित्तीय बंटवारे की व्यवस्था को और मजबूत बनाने पर भी चर्चा होगी। सूत्रों के मुताबिक पुराने लंबित मुद्दों के साथ कारोबारी के लिए जीएसटी प्रणाली को और सरल बनाने पर कुछ फैसला किए जा सकते हैं।

सिंचाई की सुविधा डिजिटल कृषि टेक्नोलॉजी के साथ खेती की उत्पादकता बढ़ाने के आगामी बजट से सरकार का जोर रह सकता है। वही निवेश की जगह रोजगार सृजन के आधार पर एमएसएमई के लिए इंसेंटिव से जुड़ी स्कीम लाई जा सकती है ।बजट पूर्व चर्चा के लिए शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एवं वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ किसान संघ एवम एमएसएमई की बैठक हुई।

शनिवार को सीतारमण राज्यों के वित्त मंत्रियों के साथ बजट पूर्व चर्चा करेंगी। एमएसएमई ने वित्त मंत्री से कहा कि किसी सेक्टर विशेष की जगह सभी सेक्टर के एमएसएमई को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव जैसी स्कीम का लाभ मिलना चाहिए, तभी अधिक से अधिक एमएसएमई मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहित हो सकेंगे। फेडरेशन ऑफ़ इंडियन माइक्रो एंड स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज में वित्त मंत्री से कहा कि 14 सेक्टर के लिए घोषित पी एल आई स्कीम में निवेश और उत्पादन के आधार पर इंसेंटिव के व्यवस्था है जबकि एमएसएमई को रोजगार सृजन के आधार पर इंसेंटिव दिया जाना चाहिए।

मैन्युफैक्चरिंग के जरिए रोजगार सृजन के आधार पर इंसेंटिव टाइप होना चाहिए। माना जा रहा है कि आगामी बजट में ऐसा उपाय किया जा सकता है। वित्त मंत्री ने उधम पोर्टल पर पंजीकृत उद्यमियों को ब्याज दरों में छूट देने के साथ उन्हें इनकम टैक्स में छूट देने की मांग की गई है। उद्यमियों ने मशीनरी के आयात पर लगने वाले स्कूल को भी खत्म करने की मांग की है।

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