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आतंकवाद के साये में पाकिस्तान से रिश्ता संभव नहीं

पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबन्ध संपादक :

अपने एक विशेष साक्षात्कार में विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन और पाकिस्तान के साथ भारत के मौजूदा रिश्ते और इसकी भविष्य को लेकर बेबाकी से बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2014 के बाद से सीमा पर आतंकवाद को सहने की भारत की नीति पूरी तरह से बदल चुकी है। भारत ने पाकिस्तान को समझाने की कोशिश की है, कि एक तरफ से भारत से सहयोग की बात और दूसरी तरफ आतंकवाद को समर्थन अब नहीं चलेगा। इस वजह से ही दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) का भविष्य भी अधर में लटका हुआ है।

जयशंकर के अनुसार भारत स्पष्ट तौर पर आतंकवाद के खिलाफ है। लेकिन यह भी मानना है कि जब आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई हो तो हम लोगों को नागरिकों को होने वाले जान-माल की हानि को टालना भी जरूरी है । साथ ही भारत, इजराइल और फिलिस्तीन दो देश बनाए जाने की नीति का समर्थन करता है। यही समस्या का हल है। पीएम शरीफ के सामने पाकिस्तान के उद्योगपतियों ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने की गुहार लगाई थी । ताकि देश की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके ।

मध्य पूर्व क्षेत्र में इजरायल- हमास और ईरान-इज़राइल के बीच युद्ध से बने तनाव पर भारत लगातार नजर बनाए हुए हैं । विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि पीएम मोदी के स्तर पर भी और विदेश मंत्रालय के स्तर पर उसे क्षेत्र के नेताओं के साथ लगातार संपर्क बनाकर रखा गया है। जयशंकर के अनुसार भारत स्पष्ट तौर पर आतंकवाद के खिलाफ है। लेकिन यह भी मानना है, कि जब आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई हो तब आम नागरिकों को कोई विशेष निकसान न पहुंचे। गाजा की मौजूदा स्थिति में भारत मानवीय आधार पर मदद पहुंचाने के लिए एक विशेष कॉरिडोर बनाए जाने के पक्ष में है साथ ही भारत इजराइल और फिलिस्तीन दो देश बनाए जाने की नीति का समर्थन करता है यही इस समस्या का हल है।

इसके साथ ही चीन के साथ संबंधों के बारे में जयशंकर का कहना है कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के साथ कोई समझता नहीं कर सकता । साथ ही चीन को यह समझना होगा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव का बने रहना, ना तो भारत के हित में है और ना ही चीन के । लेकिन भारत का रुख आगे भी इसी बात पर निर्भर करेगा कि चीन (एलएसी) पर तनाव को दूर करने के लिए क्या कदम उठाता है। साथ ही जयशंकर ने कहा कि चीन और भारत ही दो ऐसे देश है जहां की आबादी 100 करोड़ से ज्यादा है। हम पुरानी सभ्यताएं हैं।

यदि हमारे रिश्ते स्थिर व सकारात्मक होते हैं,तो यह अच्छी बात हैं । लेकिन यह सिर्फ एक दूसरे के प्रति आदर भाव रखने और सीमा पर अमन शांति स्थापित करने से ही संभव हो सकता है। 2020 में जब भारत की सीमा के पास चीन ने बड़ी संख्या में सैन्य बल तैनात किया था । वह दोनों देशों के बीच में कई समझौतों का उल्लंघन था।

भारत के पास इसका मुकाबला करने की क्षमता भी है। वह दृढ़ निश्चित भी है। हमने चीन को साफ तौर पर संदेश दिया दे दिया है कि सीमा पर शांति स्थापित किए बगैर रिश्ते भी सामान्य नहीं हो सकते | अभी दोनों देशों के बीच जो हालात है उसे सामान्य नहीं कहा जा सकता हैं ।

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