केकेपी न्यूज़ ब्यूरो:
जबरन मतांतरण रोकने की मांग वाली याचिका के जवाब में सुप्रीमकोर्ट में दाखिल अपने संक्षिप्त हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा है कि “अनुच्छेद-25 में धर्म के प्रचार शब्द पर संविधान सभा में विस्तृत बहस हुई थी | जिसमें संविधान सभा ने इस शब्द को इस स्पष्टीकरण के बाद पारित किया था कि अनुच्छेद-25 में मिले मौलिक अधिकार में मतांतरण का अधिकार शामिल नहीं है”|
केंद्र सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में कहा है कि धोखे,लालच और दबाव में जबरदस्ती मतांतरण कराने जैसे गंभीर मामले से अवगत हैं | इसके लिए उचित कदम उठाये जायेंगे | धार्मिक स्वतंत्रता का यह मतलब नहीं है कि धोखा,लालच या अन्य माध्यम से किसी व्यक्ति का मतान्तरण कराया जाय | सुप्रीमकोर्ट ने भी इसे गंभीर मामला बताते हुए सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह राज्यों के नजरिये भी संग्रहित करके कोर्ट में विस्तृत हलफ़नामा दाखिल करें |
सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस एम आर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि “हम मतान्तरण के विरुद्ध नहीं हैं, लेकिन जबरन मतान्तरण नहीं किया जा सकता | यह गंभीर मामला है “| केंद्र सरकार ने कहा कि सुप्रीमकोर्ट में दाखिल याचिका में बड़ी संख्या में संगठित रूप से वंचित वर्ग के नागरिकों का धोखा,लालच,दबाव या अन्य तरह से मतान्तरण कराने का मुद्दा उठाया गया है |
लेकिन धार्मिक स्वतंत्रता का मतलब यह नहीं है कि धोखा,लालच,दबाव या अन्य माध्यम से किसी व्यक्ति का मतान्तरण कराया जाय | अनुच्छेद-25 में धर्म के प्रचार में किसी का मतान्तरण कराना शामिल नहीं है | इसको रोकने के लिए कठोर कदम उठाये जायेंगे |