Thursday , December 26 2024

माँ के रहते बच्चे को दादी की अभिरक्षा मे रखना अवैध

पूनम शुक्ला:मुख्य प्रबन्ध संपादक:

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि बंदी प्रत्यक्षीकरण आज का अवैध अनुचित अभिरक्षा से तुरंत मुक्ति दिलाकर उसकी स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने की विशेष अधिकार प्रक्रिया है। कोर्ट ने कहा किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किसी नाबालिक को अभीरक्षा में रखना जिसका उसे कानूनी हक नहीं है। इसे बच्चों की अवैध अभीरक्षा मानी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम लॉ में भी मां को 7 साल से कम आयु के बच्चे को की अभिरक्षा पानी का अधिकार है।

यह आदेश न्यायमूर्ति डॉक्टर ए के श्रीवास्तव ने प्रयागराज के निवासी यांची मां की तरफ से दाखिल आयर खान की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निरस्त करते हुए दिया है। और इसी के साथ कोर्ट ने दादी के पास रह रहे बच्चे की अभीरक्षा उसकी मां को सौंप दी है।
याची ने शौहर से विवाद होने पर 8 सितंबर 2023 को घर छोड़ दिया था। उस समय उसकी बेटी आयरा 2 वर्ष की थी। बच्ची को दादी की अभीरक्षा में सौंप कर उसका पिता विदेश चला गया। दादी के अवैध निरुथी से मुक्ति दिलाने के लिए बच्चे की मां की तरफ से याचिका दायर की गई। और बच्चे की अभीरक्षा की मांग की गई थी।

बच्ची को अदालत में पेश किया गया। कोर्ट के आदेश पर बच्ची यानी संख्या एक की अपेक्षा उसकी मां को सौंप दी गई। कोर्ट ने मुस्लिम कानून व बच्चों की अभीरक्षा के अधिकार पर विचार करते हुए कहा है। कि जिस बच्चे की अभीरक्षा का वैधानिक अधिकार नहीं है,और वह बच्चे को अभीरक्षा में रखता है, तो यह अवैध निरुद्ध मानी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि यह बच्चे की संरक्षक या अभीरक्षा अथवा उससे मिलने देने के अधिकार के लिए पक्षकार कानून के तहत उचित अनुतोष की कार्यवाही कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

eleven − four =

E-Magazine