पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबंध संपादक :
अगर इस सफर के दौरान मेरी वजह से किसी को ठेस पहुंची हो, तो मैं माफी चाहता हूं। यह शब्द हैं भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी(1991 बैच के आईएएस अधिकारी)अशोख खेमका के है,जो कि बुधवार रिटायर हो गए। उनका कैडर हरियाणा था। प्रभावशाली व्यक्तित्व के मालिक अशोक खेमका का जन्म कोलकाता में 30 अप्रैल 1965 को हुआ था। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से कंप्यूटर साइंस में बीटेक की पढ़ाई की थी। उसके बाद उन्होंने पीएचडी टीआईएफआर (Tata Institute of Fundamental Research) से किया।
उनकी छवि ने उन्होंने चर्चाओं के केंद्र में रखा। वे एक साफ छवि के भ्रष्टाचार विरोधी अधिकारी थे।
उन्होंने हरियाणा के लैंड रिकॉर्ड डिपार्टमेंट के डायरेक्टर के पद पर रहते हुए गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट कंपनी DLF के बीच हुई 3.5 एकड़ लैंड डील के म्यूटेशन को रद्द कर दिया था ।उनका यह कहना था यह म्यूटेशन गलत तरीके से हुआ है। इस दौरान अशोक खेमका सबसे ज्यादा लाइम लाइट में आए।
किसी अधिकारी का रिटायर होना इतनी बड़ी बात नहीं हैं । लेकिन अशोक खेमका एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनपर देश के जागरूक नागरिकों का ध्यान रहता है, वे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सशक्त आवाज थे। उन्होंने अपमान और सजा की परवाह किए बिना भ्रष्टाचार के खिलाफ एक्शन लिया और कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा को कठघरे में खड़ा कर दिया था।
इसलिए ऐसे अधिकारी का रिटायर होना काफी बड़ी बात हैं।
