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गर्भाशय में टी बी संक्रमण से बांझपन का बढ़ता ख़तरा

पूनम शुक्ला:मुख्य प्रबन्ध संपादक:

आपकी शादी को कई साल हो चुके हैं, इसके बाद भी मां बनने का सपना पूरा नहीं हो रहा तो सतर्क हो जाइए। क्योंकि इस समय महिलाओं के गर्भाशय में तेजी से टीबी संक्रमण बढ़ने के मामले सामने आ रहे हैं। इस संक्रमण से कम उम्र में ही महिलाओं में बांझपन का खतरा बढ़ जा रहा है।

टी.बी. दुनिया की सबसे पुरानी बीमारियों में से एक हैं। बीसवीं सदी की शुरुआत से सामान्य और जननांग टी.बी. की घटनाएं निरन्तर कम हो रही हैं, लेकिन भारत जैसे कई विकासशील देशों में टी.बी. आज भी एक गंभीर बीमारी बनी हुई है। महिलाओं के जननांग के भीतरी हिस्से में माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लूसिस के बैक्टीरिया का पहुंचना, निःसंतानता का एक बड़ा कारण है। अगर कोई महिला गर्भवती होने से पहले टी.बी. से पीडित हो, तो उसे उपचार पूरा हो जाने तक गर्भधारण नहीं करने की सलाह दी जाती है।

टीबी की बीमारी नाखून और बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। महिलाओं और पुरुषों में पेल्विक ट्यूबरक्लोसिस (जननांग) की टीबी का भी संक्रमण हो सकता है। इससे दोनों के प्रजनन स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। इन दिनाें जिले के अस्पतालों में महिलाओं के गर्भाशय में टीबी संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे है। यह बीमारी प्रमुख रुप से फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन समय रहते इसका उपचार ना कराया जाए तो यह रक्त के द्वारा शरीर के दूसरे भागों में भी फैल कर उन्हें संक्रमित कर सकती है। यह संक्रमण महिला के प्रजनन तंत्र एवं अंगों जैसे फैलोपियन ट्यूब्स, अण्डाशय एवं गर्भाशय को प्रभावित कर गंभीर क्षति पहुंचा सकती है जो आगे चलकर गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकती हैं। महिलाओं में टी.बी. के कारण गर्भाशय की परत (एण्डोमेट्रियम) में खराबी व ट्यूब बंद अथवा खराब होने की समस्या हो सकती है।

पेल्विक ट्युबरक्युलोसिस का पता लगाना कई बार मुश्किल होता है क्योंकि कई मरीजों में लम्बे समय तक इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, कई मामलों में इसका पता तब चलता है जब दम्पती निःसंतानता से जुड़ी समस्या लेकर जांच के लिए आते हैं ।

ये हैं टीबी के लक्षण – पसीना अधिक आना, थकान रहना, पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द रहना, अनियमित मासिक धर्म, सफेद पानी आना, हेवी ब्लीडिंग, उबकाई या उल्टी, वजन का कम होना, हल्का बुखार, हार्ट की पल्स रेट का तेज हो जाना, अल्प समय में गर्भपात हो जाना आदि।

अधिकतर मामले 20-40 साल की उम्र वाली महिलाओं में पाए जा रहे हैं। जो महिलाओं में बांझपन का कारण बन रही है। जिले में जांच कराने पर चिह्नित मरीजों में से चार प्रतिशत तक गर्भाशय की टीबी होना पाया जा रहा।

स्त्री रोग विशेषज्ञ बताती हैं कि महिलाओं में गर्भाशय की टीबी के मामले तेजी से बढ़ रहें हैं। जो महिलाओं के लिए खतरनाक है। यदि समय रहते इसका उपचार नहीं कराया गया तो आगे चलकर बांझपन का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन समय से उपचार करने पर बीमारी से मुक्ति मिल जाती है।

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