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कोचिंग संस्थानों को भ्रामक विज्ञापन के लिए केंद्र सरकार की फटकार

पूनम शुक्ला : मुख्य प्रबन्ध संपादक:

बुधवार को केंद्र सरकार ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों को नियंत्रित करने के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें ‘100 प्रतिशत चयन’ या ‘100 प्रतिशत नौकरी की गारंटी’ जैसे झूठे दावों पर प्रतिबंध लगाया गया है। केंद्र ने कोचिंग संस्थानों के भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए जिनमें शत-प्रतिशत चयन या नौकरी की पूरी गारंटी जैसे झूठे दावों को निषिद्ध किया गया है।

केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) द्वारा तैयार अंतिम दिशानिर्देश का मसौदा, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पर कई शिकायतें मिलने के मद्देनजर जारी किया गया।  सीसीपीए ने अब तक 54 नोटिस जारी किए हैं और करीब 54.60 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

नौकरी की सौ फीसदी गारंटी, हमारे यहां से यह कोर्स कीजिए और पांच से सात लाख का पैकेज पाइए, घरेलू नौकर आपकी जरूरतों के अनुसार… ये कुछ ऐसी लाइनें हैं, जो न्यूज पेपर, टीवी से लेकर शहर की दीवारों तक पर दिख जाती हैं। प्लेसमेंट एजेंसियों से आए दिन हमारा पाला पड़ता रहता है, लेकिन इनसे डील करने में दिक्कतें भी तमाम आती हैं। ऐसा नहीं है कि अच्छी एजेंसियां काम नहीं कर रहीं, सावधान होने की बात तब आती है, जब लोग झूठी गारंटी के फेर में फंसने लगते हैं।
बेशक नौकरी की गारंटी दी ही नहीं जा सकती, क्योंकि हर नौकरी के लिए अलग-अलग योग्यता की जरूरत होती है और जब जॉब मार्केट की स्थिति अच्छी नहीं हो तो हर किसी को नौकरी मिल भी नहीं सकती। दूसरी बात, ऐसे वादों की लिस्ट में उनकी शर्तें ऐसी होती हैं, जिन्हें पढ़े बिना आप फंस सकते हैं। 

सरकार कोचिंग संस्थानों के खिलाफ नहीं है, लेकिन विज्ञापनों की गुणवत्ता से उपभोक्ता अधिकारों को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। ‘कोचिंग क्षेत्र में भ्रामक विज्ञापन की रोकथाम’ शीषर्क वाले दिशानिर्देशों में ‘कोचिंग’ को अकादमिक सहायता, शिक्षा, मार्गदर्शन, अध्ययन कार्यक्रम और ट्यूशन को शामिल करने के लिए परिभाषित किया गया है लेकिन परामर्श, खेल और रचनात्मक गतिविधियों को बाहर रखा गया है। 

उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने कहा, ‘हमने पाया है कि कोचिंग संस्थान जानबूझकर अभ्यर्थियों से जानकारी छिपा रहे हैं। इसलिए, हम कोचिंग उद्योग में शामिल लोगों को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश लेकर आए हैं।’ खरे ने कहा, ‘सिविल सेवा परीक्षा के कई अभ्यर्थी प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाएं खुद अध्ययन करके ही उत्तीर्ण कर लेते हैं और कोचिंग संस्थानों से केवल साक्षात्कार के लिए मार्गदर्शन लेते हैं।’ उन्होंने अभ्यर्थियों को यह सलाह दी कि वे इस बात की जांच कर लें कि सफल अभ्यर्थियों ने असल में किस पाठ्यक्रम में दाखिला लिया था। सीसीपीए प्रमुख खरे ने कहा कि कोचिंग संस्थानों को यह बताना चाहिए कि पेश किए जाने वाले पाठ्यक्रम विधिवत मान्यता प्राप्त हैं। ये प्रावधान मौजूदा कानूनों के अतिरिक्त हैं। उल्लंघन करने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्माना लगाया जाएगा।

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